Tuesday, April 23, 2024
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टॉन्सिल की समस्या से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये आयुर्वेदिक नुस्खे, साथ ही जानिए लक्षण

बढ़ती गर्मी के साथ बदलते मौसम के कारण गले में दर्द की समस्या हो जाती है। अगर आपको गले के साथ कानों में भी दर्द हैं तो वो ट्रॉन्सिल का संकेत हो सकता है। जानिए स्वामी रामदेव से कैसे पाएं इस समस्या से निजात।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: June 27, 2020 12:10 IST

बदलते मौसम के कारण कई लोगों को गले में दर्द की समस्या हो जाती है। कई लोगों को गले के साथ-साथ कान में भी दर्द होने लगता है। अगर गले में खराश के साथ दर्द की समस्या हो तो समथ लें कि यह टॉन्सिल की शुरुआत है। अगर इसका समय से इलाज नहीं कराया गया तो आपको असहनीय दर्द हो सकता है। स्वामी रामदेव से जानिए टॉन्सिल की समस्या से निजात पाने के  आयुर्वेदिक उपाय।

क्या है टॉन्सिल?

हमारे गले के दोनों ओर ओवल शेप के अंग होते हैं जिन्हें टॉन्सिल नाम से जाना जाता है। जब इसमें किसी भी प्रकार का इंफेक्शन होता है तो इसमें जलन के साथ सूजन बढ़ जाती है। जिसके कारण खाने, पीने के साथ-साथ सलाइवा भी निगलने में दर्द होने लगता है।   

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टॉन्सिल होने के लक्षण

  • कोई भी चीज निगलने में समस्या। 
  • गले में दर्द और खराश
  • गर्दन में अकड़न।
  • बुखार आना 
  • आवाज में बदलाव होना।
  • गले से लेकर कानों तक दर्द होना।
  • गले में सूजन आ जाना 

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टॉन्सिल से निजात पाने के आयुर्वेदिक उपाय

स्वामी रामदेव से टॉन्सिल से निजात पाने के कुछ आयुर्वेदिक उपाय बताए हैं जिन्हें अपनाकर आप इस समस्या से 100 प्रतिशत निजात पा सकते हैं। 

  • श्वासारि गोली का सेवन करें। 
  • श्वासारि की गोली के साथ श्वासारि त्रिकुटा सितोपलादि पाउडर को शहद के साथ चाटने से लाभ मिलेगा। 
  • त्रिकुटा, बहेडा और गौदंती के पाउडर  को शहद के साथ चाटने से गले संबंधी हर समस्या से निजात मिलता है। 
  • बबूल को पानी में उबालकर उससे गरारे करने से भी टॉन्सिल में लाभ मिलता है।

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टॉन्सिल की समस्या से निजात दिलाने के लिए सूत्र नेति और जल नेति भी कारगर

जल नेति

यह जल द्वारा किया जाने वाली एक क्रिया है। इससे नैजल ट्रैक की सफाई ठीक ढंग से हो जाती है। इस जल में आप चाहे तो थोड़ा सा सेंधा नमक भी डाल सकते है। इसके लिए एक तरफ से नाक के होल में पानी डाला जाता है वह दूसरी तरह के होल  से आसानी से निकल आता है। इसके साथ ही आपको बता दें कि इस क्रिया को करने के लिए खास पात्र की आवश्यकता होती है।  इस क्रिया को करते समय गर्दन को तिरछी रखकर मुंह से सांस लेना है। कभी भी इस क्रिया को करते समय नाक से सांस न लें। ऐसा करने से पानी दिमाग में चल जाएगा।

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सूत्र नेति
इस क्रिया के द्वारा शरीर का शुद्धिकरण होता है। इस क्रिया के लिए पहले धागे का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन अब यह आसानी से मेडिकल स्टोर में मिल जाता है। इस क्रिया में पहले इस सूत्र नेति को पानी से साफ करके नाक से धीरे-धीरे डाला जाता है जिसे मुंह से निकाला जाता है। मिर्गी के दौरे या अधिक चक्कर आते है तो सूत्र नेति को करने से बचें।

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