Friday, April 19, 2024
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Vijaya Ekadashi 2021: 9 मार्च को है विजया एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार 9 मार्च को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। जानिए विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, एकादशी व्रत का महत्व और पूजा करने का सही तरीका।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 08, 2021 20:37 IST
Lord Vishnu - India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/ASTROBHAVA Lord Vishnu 

हिंदू पंचांग के अनुसार 9 मार्च को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार की विजया एकादशी मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलती है। यानी कि सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसी वजह से इसे विजया एकादशी कहा जाता है। जानिए विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त,  एकादशी व्रत का महत्व और पूजा करने का सही तरीका। 

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विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

विजया एकदशी तिथि का प्रारंभ- 8 मार्च 3 बजकर 44 मिनट से 
9 मार्च - विजया एकादशी व्रत
एकादशी तिथि का समापन- 9 मार्च की दोपहर 3 बजकर 2 मिनट पर

विजया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार रामायण काल में जब भगवान श्रीराम राम अपनी वानर सेना लेकर लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे तो उनके सामने विशाल समुद्र को पार करने की चुनौती थी। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था तो उन्होंने आखिर में ऋषि मुनियों से इसका उपाय पूछा। ऋषि मुनियों ने भगवान श्रीराम को विजया एकादशी का व्रत रखने को कहा। 

भगवान श्रीराम ने फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वानर सेना के साथ विजया एकादशी व्रत रखा और विधि विधान से पूजा की। मान्यता है कि इस व्रत को करने से समुद्र से लंका जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। साथ ही भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। तभी से इस विजया एकादशी के व्रत का महत्व और बढ़ गया। 

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ऐसे करें विजया एकादशी का व्रत

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
  • इसके बाद व्रत का संकल्प लें
  • भगवान विष्णु की आराधना करें
  • भगवान को पीले फूल अर्पित करें 
  • घी में हल्दी लगाकर भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक को जलाएं
  • इसके बाद पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाई भगवान को चढ़ाएं
  • शाम को तुलसी के पौधे के सामने भी घी का दीपक जलाएं
  • भगवान विष्णु को केले चढ़ाएं 
  • भगवान विष्णु की आराधना के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें
  • सुबह पूजा के बाद फलाहार कर पूरा दिन व्रत रखें
  • द्वादशी तिथि को व्रत खोलें और प्रसाद का वितरण करें 

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