Friday, April 19, 2024
Advertisement

दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की विश्वविद्यालयों को केवल ट्यूशन फीस लेने के निर्देश के अनुरोध वाली याचिका

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर सुनवायी करने से इनकार कर दिया, जिसमें विश्वविद्यालयों और ऐसे अन्य संस्थानों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वे कोविड-19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर केवल शिक्षण शुल्क लें और वह भी किश्तों में.

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 08, 2020 12:52 IST
Delhi High Court dismisses instructions to universities to...- India TV Hindi
Image Source : GOOGLE Delhi High Court dismisses instructions to universities to take tuition fees only

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर सुनवायी करने से इनकार कर दिया, जिसमें विश्वविद्यालयों और ऐसे अन्य संस्थानों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वे कोविड-19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर केवल शिक्षण शुल्क लें और वह भी किश्तों में. अदालत ने कहा कि ‘‘रियायत अधिकार का कोई मामला नहीं है.''मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की एक पीठ ने संबंधित प्राधिकारियों से कहा कि वे अर्जी को एक प्रतिवेदन के तौर पर लें और कानून, नियम और मामले के तथ्यों में लागू सरकारी नीति के अनुरूप एक निर्णय करें.

 विधि के चौथे वर्ष के एक छात्र द्वारा दायर अर्जी का इस निर्देश के साथ निस्तारण कर दिया गया. पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने प्रोफेसरों को भुगतान करना है और ऑनलाइन कक्षाओं के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण भी करना है, इसलिए उन्हें शुल्क रियायतें देने के लिए निर्देशित नहीं किया जा सकता. पीठ ने जनहित याचिका में छात्रों को गैजेट और 4 जी इंटरनेट पैक प्रदान करने जैसी कई राहतों से असहमति जतायी और कहा कि ‘‘इसके लिए अनुरोध करने में हर्ज क्या है.''

 पीठ ने अधिवक्ता कुश शर्मा के जरिये दायर याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि ‘‘मांगने में क्या जाता है, आप स्वर्ग और आकाश मांग सकते हैं. वे (छात्र) कॉलेज जाने के लिए साइकिल और कारें भी क्यों नहीं मांगते. मांगने में हर्ज क्या है. इस तरह की याचिका जुर्माने के साथ खारिज करने के लायक है, लेकिन हम अब ऐसा नहीं कर रहे हैं.''

विधि के छात्र ने अपनी अर्जी में शिक्षा मंत्रालय से विभिन्न विश्वविद्यालयों और ऐसे अन्य संस्थानों को निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया था कि वे ली जा रही फीस में विभिन्न मदों को उल्लेखित करें और विभिन्न मामलों के आधार पर अभिभावकों को शुल्क जमा करने के लिए समय अवधि के विस्तार के रूप में रियायतें दें.

याचिका में यह भी सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का अनुरोध किया गया था. वे ऐसे छात्रों को गैजेट और तेज गति वाला इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करें जो इसका खर्च नहीं उठा सकते. ताकि महामारी के दौरान सभी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा या कक्षाओं तक पहुंच प्राप्त हो सके.

अर्जी में दलील दी गई थी कि महामारी के दौरान न केवल देश की जीडीपी में गिरावट आयी है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में नियोजित लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी है या उन्हें वेतन में कटौती का सामना करना पड़ा है. अर्जी में यह आरोप लगाया गया था कि कुछ शैक्षणिक संस्थान अभिभावकों को बार बार संदेश भेज रहे हैं या ईमेल कर रहे हैं जिसमें यह धमकी दी जाती है कि फीस का भुगतान नहीं किये जाने पर उनके बच्चों के नाम काट दिये जाएंगे या उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच प्रदान नहीं की जाएगी.

Latest Education News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें एजुकेशन सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement