नई दिल्ली। हरिजन सेवक संघ के अंतर्गत आने वाले माता कस्तूरबा छात्रावास में 1 सितंबर को कुछ छात्रा अपने घर से परिक्षाओं के चलते वापस पहुंची। चौंकाने वाली बात ये रही कि छात्राओं को हॉस्टल में प्रवेश नहीं दिया गया। छात्राओं ने हॉस्टल स्टाफ पर आरोप लगाते हुए कहा कि "हमें अंदर नहीं जाने दिया गया, वहीं हमारे साथ बदसलूकी भी गई। हमें डराया धमकाया गया, भविष्य बर्बाद करने की धमकी तक दी गई।" वहीं हॉस्टल प्रबंधक ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है। छात्राओं का कहना है कि, "हमारी सुरक्षा की फिक्र नहीं, हमें सड़कों पर रहने के लिए छोड़ दिया है।" फिलहाल तीनों छात्रा अपने परिचित के साथ रह रही हैं।
छात्राओं का आरोप है कि, " एक कमरे में 4 लड़कियां रहती हैं। 12 हाजर रुपये एक कमरे का किराया लिया जाता है। बावजूद इसके सुविधा के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है। पंखे नहीं चलते हैं, पानी हमें बाहर से लेना पड़ता है। हॉस्टल को निजी हाथों में देना चाहते हैं। इस वजह से छात्राओं को यहां रुकने नहीं दे रहे हैं।"प्रियंका कश्यप जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लॉ की छात्र हैं, मैनपुरी से वापस हॉस्टल आई हैं, उन्होंने आईएएनएस को बताया, "परीक्षा के संदर्भ में हम लोग वापस आये, हमारा सामान यहीं रखा हुआ है। हमसे बोला गया कि हम अब हॉस्टल नहीं चलाएंगे और अपना सामान ले जाओ। हम 6 लड़कियां एक साथ आए थे, लेकिन दो लड़कियों पर दबाब बनाकर उन्हें वापस लौटा दिया गया।"
छात्राओं ने आरोप लगाया कि, "पुलिस ने हमें धमकाया, हमारे ऊपर मुकदमा दर्ज कर जिंदगी बर्बाद करने की धमकी दी गई। जबरजस्ती हॉस्टल खाली कराने की वजह से ये दबाब बनाया जा रहा है।"
गिरिजा तिवारी यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं और परीक्षा के चलते वो कानपुर से आई हैं और 1 सितंबर को सुबह 6 बजे हॉस्टल पहुंची। उन्होंने आईएएनएस को बताया, "आने से पहले हम फोन करते रहे, हमें जवाब नहीं दिया गया। आने के बाद मैंने सबसे पहले अपनी वॉर्डन को सूचित किया, जिसके बाद उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद मैंने सीनियर को फोन कर सूचित किया। लेकिन, मुझसे कह दिया गया कि जहां से आप आये हैं, वहीं वापस चले जाएं। हॉस्टल हम नहीं खोलेंगे।"
"हम सुबह से रात तक इंतजार करते रहे, फिर हमसे बोला गया कि आप हमारे (स्टाफ) परिचित के यहां जाकर रह सकते हैं। इसके बाद मैंने मुखर्जी नगर एसएचओ को सूचित किया और उनसे कहा कि, हम सुबह से इंतजार कर रहे हैं, अब रात हो चुकी है, रुकने की व्यवस्था कीजिये, हम सुबह पीजी ढूंढ लेंगे।"
छात्राओं ने आरोप लगाया है कि "सब इंस्पेक्टर और हेड कॉन्स्टेबल ने हमें डराने धमकाने की कोशिश की। एफआईआर दर्ज कर, भविष्य बर्बाद कर देने को बोला गया। पुलिस गलत तरीके से हमें अपने साथ ले जाने की कोशिश कर रही थी। हमारे परिवार के बारे में भी जानकारी मांगी गई, लेकिन हमने नहीं दी।"मुखर्जी नगर एसएचओ करण सिंह राणा ने आईएएनएस को बताया, "छात्राओं के लगाए गए सभी आरोप गलत हैं। ये हॉस्टल प्रबंधकों के ऊपर है कि वो हॉस्टल खोलना चाहते हैं या नहीं। छात्राओं और हॉस्टल स्टाफ को बैठ कर बात करनी चाहिए।"
छात्राओं को अब उनकी सुरक्षा का भी खतरा है, उनको डर है कि उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर उन्हे डराया धमकाया जाएगा।हरिजन सेवक संघ के सचिव रजनीश कुमार ने आईएएनएस को बताया, "हरिजन सेवक संघ रजिस्टर्ड सोसाइटी है। माता कस्तूरबा हॉस्टल में 30-35 बच्चे रहते हैं, कोरोना की वजह से कई बच्चे घर चले गए। हमारे पास इंतजाम नहीं है। हमारी कोर कमिटी ने फैसले लिया की जब तक कोरोना है, हम होस्टल नहीं खोलेंगे।"
उन्होंने बताया, "कुछ छात्र अपनी तरफ से प्लानिंग करके अचानक आ गये। हमने बच्चों को बता दिया था कि हॉस्टल बंद है।"रजनीश कुमार का कहना है कि, " मुखर्जी नगर में पीजी खाली है, वहां रहिए। हम आपका सामान वहां पहुंचवा देते हैं। लेकिन सामान लेने से पहले आपका जो भी बकाया है उसे क्लियर करा लेना। हॉस्टल जब भी खोला जाएगा, सभी छात्राओं को सूचित कर दिया जाएगा।"
उन्होने बताया "हम सक्षम नहीं हैं छात्राओं को सुरक्षा देने के लिए, छात्राओं ने सोचा है कि रहेंगे और पैसे भी नहीं देंगे। छात्राओं ने 1 सितंबर को ताला तोड़ा, जिसके बाद स्टाफ ने पुलिस को सूचित किया। छात्राओं को कभी नहीं डराया गया, बस इन लड़कियों को फीस नहीं देना है, इस वजह से ये इतना तमाशा कर रही हैं।"