नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर (कुलपति) का कार्यकाल अगले साल 10 मार्च 2021 को खत्म हो रहा है। कार्यकाल खत्म होने से 6 महीने पहले नए वाइस चांसलर की तलाश करने की कवायद शुरू कर दी जाती है। इसी माह सितंबर में इसको लेकर अहम मीटिंग होनी है। मीटिंग में सर्च कमेटी के सदस्यों के नामों पर विचार करने के बाद, तीन सदस्यों के नामों पर सहमति होने पर औपचारिकता पूरी हो जाएगी। सर्च कमेटी ही नए वाइस चांसलर के लिए आवेदन मंगवाती है। दिल्ली विश्वविद्यालय के मौजूदा वाइस चांसलर योगेश कुमार त्यागी दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति बनने से पहले साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के विधि अध्ययन संकाय के डीन थे। उन्हें मार्च 2016 में दिल्ली विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था। शिक्षा मंत्रालय ने त्यागी को इस पद पर पांच साल के लिए नियुक्त किया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद (ईसी ) में नए वाइस चांसलर के लिए सर्च कमेटी बनती है। सर्च कमेटी में तीन सदस्यों के नाम पास किए जाएंगे। यह कमेटी ही वाइस चांसलर के लिए विज्ञापन और आवेदन पत्र आमन्त्रित करेगी। उसके बाद कमेटी ही आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी, स्क्रीनिंग करके शिक्षा मंत्रालय को भेजती है।शिक्षा मंत्रालय में नामों को भेजने से पूर्व कमेटी के सामने उम्मीदवारों का इंटरैक्शन होगा। मंत्रालय उनमें से तीन सदस्यों के नाम को राष्ट्रपति के पास भेजेगा। राष्ट्रपति इनमें से एक नाम की संस्तुति कर वापस भेज देते हैं।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के प्रोफेसर हंसराज ने कहा, "पिछले कई दिनों से वाइस चांसलर बीमार हैं। इसके कारण ईसी की मीटिंग नहीं हुई है। ईसी की मीटिंग में ही सर्च कमेटी के सदस्यों के नाम को तय किया जाएगा। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर बनने के लिए प्रोफेसर पद का 10 साल का अनुभव होना जरूरी है, तभी इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।"दिल्ली विश्वविद्यालय साल 2022 में अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे करने जा रहा है। डीयू सौ वर्ष पूरे करने पर स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन करेगा। इसलिए भी नए वाइस चांसलर की नियुक्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है।