Thursday, April 25, 2024
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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दिया मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बच्चों के समग्र विकास के लिए शुक्रवार को मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने मूल्य आधारित शिक्षा और शिक्षण को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनाने का आह्वान किया।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 11, 2020 18:58 IST
Vice President M. Venkaiah Naidu emphasized on value based...- India TV Hindi
Image Source : PTI Vice President M. Venkaiah Naidu emphasized on value based education

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बच्चों के समग्र विकास के लिए शुक्रवार को मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने मूल्य आधारित शिक्षा और शिक्षण को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बनाने का आह्वान किया। नायडू ‘हार्टफुलनेस ऑल इंडिया एसे राइटिंग इवेंट’ की ऑनलाइन शुरुआत के अवसर पर बोल रहे थे। यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में हर साल जुलाई से नवंबर के बीच होता है। उपराष्ट्रपति ने मूल्य आधारित शिक्षा पर ध्यान देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रशंसा की और कहा कि मूल्यों पर जोर ‘‘प्राचीन समय से ही हमारी सभी शिक्षाओं का अभिन्न अंग’’ रहा है।

नायडू ने कहा कि आज के दिन और तेजी से आगे बढ़ते सूचना प्रौद्योगिकी जगत में मूल्य आधारित शिक्षा का काफी महत्व है। आधिकारिक बयान के अनुसार सार्वभौमिक मूल्यों पर आधारित नींव के पुनर्निर्माण की आवश्यकता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने जड़ों की ओर लौटने और भारत की पारंपरिक शिक्षा पद्धतियों संबंधी ज्ञान को स्थापित करने का आह्वान किया। नायडू ने सरकारों, अभिभावकों, शिक्षकों, संस्थानों और स्वयंसेवी संगठनों का आह्वान किया कि वे छात्रों को जीवन का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाएं। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि देश इस दिशा में आगे बढ़ता है तो भारत मूल्य आधारित शिक्षा के पुनरुत्थान का नेतृत्व करेगा जिसका पूरी दुनिया अनुसरण करेगी।

उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों से मानकों में सुधार करने को कहा जिससे कि भारत ज्ञान और नवोन्मेष का अग्रणी केंद्र बन सके। नायडू ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के संस्थानों को अनुसंधान में व्यापक निवेश करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कोविड-19 से उत्पन्न चुनौती की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों ने दृढ़ संकल्प प्रदर्शित किया है और वे चुनौती से उबरने की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। यह उल्लेख करते हुए कि प्रतिकूल परिस्थिति ऐसा समय होता है जब किसी के चरित्र की परीक्षा होती है, नायडू ने कहा, ‘‘जब हम मजबूत मूल्यों के साथ मिलकर काम करते हैं तो कोई समस्या ऐसी नहीं जिसे पराजित न किया जा सके।’’

बयान के अनुसार, नायडू ने यह भी कहा कि महामारी ने लोगों के मस्तिष्क में कुछ तनाव पैदा किया है और परिवार के साथ मिलकर रहना तथा ध्यान का अभ्यास करना इससे मुक्ति पाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। उन्होंने कहा कि ‘‘चीजों को साझा करना और एक-दूसरे की देखभाल करना’’ भारतीय दर्शन का महत्वपूर्ण अंग रहा है, इसलिए दया, सहानुभूति, बड़ों के लिए सम्मान तथा धार्मिक सहिष्णुता को अपनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने अपील की कि महामारी की वर्तमान स्थिति में जरूरतमंदों और वंचित लोगों की मदद की जानी चाहिए।

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