Thursday, April 25, 2024
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Coronavirus LIVE: भारत में कोरोना केस में कमी दर्ज- स्वास्थ्य मंत्रालय

भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच रिकवरी रेट काफी अच्छा है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 14, 2021 23:39 IST
Coronavirus Live: कोरोना से रिकवर होने के बाद इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकती है गंभीर बीमारी- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Coronavirus Live: कोरोना से रिकवर होने के बाद इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकती है गंभीर बीमारी

भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच रिकवरी रेट काफी अच्छा है। हालांकि इस मामले ऐसे आए है जिसलमें देखा गया है कि SARS-COV-2 की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद मरीजों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा हैं। एक स्टडी के अनुसार कोरोना के हल्के लक्षणों वाले कुछ मरीजों में काफी लंबी समय तक रहने वाली समस्याएं देखी गई है। जिससे रिकवर होने के लिए मरीज को काफी समय लग रहा है।

 

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  • 4:18 PM (IST) Posted by Jyoti Jaiswal

    यूपी के कई जिले ब्लैक फंगस की चपेट में, मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों से मांगी रिपोर्ट

    कोरोना महामारी संकट के साथ ब्लैक फंगस ने भी लोगों की चिंता बढ़ानी शुरू कर दी है। प्रदेश में मेरठ, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर और लखनऊ के साथ ही बरेली के लोग भी इसकी चपेट में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार नमी के जरिए ब्लैक फंगस ज्यादा पनपता है। इसमें कोरोना मरीजों को और ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। मुख्यमंत्री योगी ने भी इस फंगस अलर्ट करते हुए विशेषज्ञों से इस सबंध में रिपोर्ट मांगी है।

    डॉ. राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं चिकित्सा अधीक्षक विक्रम सिंह ने बताया '' ब्लैक फंगस बहुत ज्यादा खतरनाक है। फंगस ज्यादा गंभीर होंने मृत्युदर बढ़ने के चांस है। इसके बचाव के लिए मरीज को बहुत ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड न दिया जाए। एंटीबायोटिक का एप्रोकिएट प्रयोग हो। ऑक्सीजन के प्यूरीफायर साफ-सुथरे हों। उन्होंने बताया कि मधुमेह रोगी को अस्पताल में भर्ती होते समय शुगर नियंत्रित होनी चाहिए। यह फंगस नमी के कारण होता है। नमी वाले स्थान से मनुष्य के शरीर में पहुंच जाता है। यह नाक, आंख, गला को ज्यादा प्रभावित है। इसके बचाव के लिए एंटी फंगल दवाओं को प्रयोग किया जा सकता है। उसे सर्जरी से ठीक कर सकते हैं। हालांकि इसका इलाज कठिन है। यह कोरोना से भिन्न है। नाक आंख के बीच के भाग में असर करता है। फिर यह सीधा ब्रेन में असर करता है।''

    इंडियन मेडिकल एसोसिएषन (आईएमए) के सचिव और वरिष्ठ चेस्ट फिजीशियन डा.वीएन अग्रवाल ने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस कहा जाता है। फंगल इन्फेक्शन को ग्रो करने के लिए शरीर में नमी चाहिए। नाक, गला, आंख में नमी ज्यादा होती है। यहां फंगस बढ़ने के ज्यादा चांस रहते है। रोग व दवाओं के कारण शरीर में कमजोरी होती है। कोविड मरीज जिन पर स्टेरॉयड ज्यादा प्रयोग किया गया है। वह इस रोग के कारण ज्यादा सेंसटिव हो गये है। क्योंकि यह फंगस शरीर में पहुंच गया तो ग्रो कर जाता है। इसे अर्ली स्टेज में पकड़ पाना मुष्किल है। अगर समय से पकड़ आ गया तो दवा से खत्म हो सकता है। देर होनें पर यह आंख, नाक, और ब्रेन को पकड़ लेता है। जिस स्थान को पकड़ता है उस स्थान से चमड़े को खुरच-खुरच कर निकालना पड़ता है। बड़ा अपरेषन होता है। आंखो में ज्यादा फैलने से आंख भी निकालनी पड़ती है। यह फंगस भारत में पहले ज्यादा नहीं देखी जा रही है। इसलिए ज्यादा जागरूकता नहीं थी। लेकिन कोविड के नाते इसके मरीज बढ़े है। इसलिए जागरूकता बढ़ी है। अगर किसी में लक्षण दिखे तो शीघ्र इएनटी के विषेषज्ञ से मिलें। इलाज कराएं। अर्ली समय से इलाज कराने पर ठीक हो सकता है।

    वरिष्ठ नाक, कान, गला के सर्जन एवं पूर्व मुख्य चिकित्साधिक्षक उन्नाव के डा. एम.लाल ने बताया '' काली फंगस एक प्रकार की फंफूद होती है। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद इम्युनिटी कमजोर होने पर यह ब्लैक फंगस तेजी से शरीर को जकड़ता है। इसका सर्वाधिक असर उनपर दिख रहा है, जिनका शुगर लेवल काफी बढ़ गया है। यह नाक, गला से सीधे ब्रेन पर पहुंचता है। इस फंगस के कारण नांक के अंदर काली पपड़ी बन जाती है। मुंह के अंदर तालू में काले चकत्ते बन जाते है। जहां-जहां पहुंचा है। वहां कि स्किन हड्डी सबको डैमेज करता है। यह फंगल संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखा गया है जो मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित हैं। ऐसे मरीजों को अपना मधुमेह का स्तर नियंत्रण में रखना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार म्यूकोरमायकोसिस के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस और देखने की क्षमता पर आंशिक रूप से असर शामिल है। इससे बचाव के लिए संतुलित भोजन, बिटामिन, प्रोट्रीन भरपूर मात्रा में लें।''

    भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार म्यूकर माइकोसिस एक तरह का दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। यह संक्रमण मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर कर रहा है। इस बीमारी में कई के आंखों की रौशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इलाज न मिले तो मरीज की मौत हो सकती है।

    -आईएएनएस

  • 4:17 PM (IST) Posted by Jyoti Jaiswal

    जयपुर, गोवा और कर्नाटक में कोविड केस अभी बढ़े हुए हैं- स्वास्थ्य मंत्रालय

  • 4:17 PM (IST) Posted by Jyoti Jaiswal

    अब तक 17.72 करोड़ लोगों को कोविड वैक्सीन लग गई है।

  • 4:15 PM (IST) Posted by Jyoti Jaiswal

    लखनऊ, भोपाल, अलवर में कोरोना के मामले घटे- स्वास्थ्य मंत्रालय

    स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि देश में स्थिति बेहतर हो रही है।

  • 4:14 PM (IST) Posted by Jyoti Jaiswal

    भारत सरकार की हेल्थ मिनिस्ट्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि भारत में रिकवरी रेट लगातार बढ़ रही है और कोविड के मामले कम हो रहे हैं।

  • 11:00 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    बच्चों पर Covaxin के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल को DCGI की मंजूरी

    कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान देश में कई जगहों पर बच्चों के कोरोना से संक्रमित होने के मामले बढ़े हैं, ऐसे में बच्चों के लिए भी कोरोना वैक्सीन की मांग जोर पकड़ती जा रही है। इसी मांग को ध्यान में रखते हुए देश के दवा रेग्युलेटर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने पूर्ण रूप से देश में विकसित की गई कोरोना वैक्सीन Covaxin के बच्चों पर दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है। 

    Covaxin का देश में उत्पादन कर रही कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech International Ltd) को दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दी गई है, इस मामले पर बनी एक्सपर्ट कमेटी ने ट्रायल का सुझाव दिया था जिसे DCGI ने मान लिया है और 2-18 वर्ष के बच्चों पर इस वैक्सीन के ट्रायल की मंजूरी दी गई है। देशभर में यह ट्रायल 525 स्वस्थ बच्चों पर किया जाएगा। ट्रायल के लिए बच्चों को वैक्सीन की 2 डोज दी जाएगी, पहली डोज के बाद दूसरी डोज 28वें दिन दी जाएगी।  

  • 10:59 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    उत्तर प्रदेश में बिना आधार कार्ड ऐसे लगवा सकते हैं कोरोना वैक्सीन

    उत्तर प्रदेश में वैक्सीन लगवाने के लिए अब आधार कार्ड जरूरी नहीं है। राज्य सरकार ने इसको लेकर नियम  बदल दिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की तरह से कहा गया है कि राज्य में रह रहे 18-44 वर्ष आयुवर्ग के लोग आधार कार्ड के अलावा मकान का रेंट एग्रीमेंट, बैंक की पासबुक, बिजली का बिल, किसी कंपनी में काम करते हैं तो उस कंपनी का नियुक्ति पत्र वगैरह देकर वैक्सीन लगवा सकते हैं। पहले सिर्फ उन्हीं लोगों को वैक्सीन लगवाने की अनुमति थी जिनके पास उत्तर प्रदेश का आधार कार्ड था। 

    राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में निवास कर रहे 18-44 वर्ष आयु वर्ग के समस्त लोगों का टीकाकरण किया जा सकता है और इसके लिए स्थाई निवासी होने या आधार कार्ड की वाध्यता नहीं है। उत्तर प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को इन नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है और राज्य में रह रहे सभी लोगों को वैक्सीन लगाने का निर्देश दिया गया है। 

  • 10:55 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    देश में 24 घंटे पर बढ़े इतने कोरोना मामले

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान देशभर में कोरोना वायरस के एक्टिव मामलों में 6426 की बढ़ोतरी हुई है और अब देश में कोरोना के कुल एक्टिव केस बढ़कर 3710525 दर्ज किए गए हैं। देश के कुल कोरोना मामलों में 15.65 प्रतिशत एक्टिव केस हैं। 

    कोरोना के सिर्फ एक्टिव मामलों में ही बढ़ोतरी नहीं हुई है बल्कि इसकी वजह से देश में मरीजों की हो रही मौतें लगातार चिंता का कारण बना हुआ है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान देशभर में कोरोना वायरस की वजह से 4120 लोगों की जान गई है और अबतक इस वायरस की वजह से देश में कुल 258317 लोगों की जान जा चुकी है। 

  • 8:09 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    कोरोना से रिकवर होने के बाद हो रही है ये समस्याएं

    कोरोना के रिकवर होने के बाद लोगों को लंग्स, हार्ट के साथ-साथ किडनी पर बुरा असर पड़ रहा है। जिसके कारण कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक की समस्या हो रही है। कई लोगों की तो किडनी तक डैमेज हो रही हैं। 

    एक रिपोर्ट केअनुसार, कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों को एक सप्ताह या एक महीने बाद भी इसके लक्षण महसूस हो सकते हैं। जिसमें लगातार खांसी आना, कमजोरी, थकान, सिरदर्द, ब्रेन फ्राग, मांसपेशिय़ों में दर्द आदि शामिल है। इसके अलावा कई  लोगों के मेटाबॉलिज्म पर भी बुरा असर डाल रहा है। 

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