Saturday, April 20, 2024
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डिस्पोजल पेपर कप में चाय पीना सेहत के लिए हो सकता है खतरनाक, IIT के वैज्ञानिकों का दावा

आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च पेश की है। जिसके अनुसार पेपर कप में चाय पीना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। जानिए क्यों

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: November 09, 2020 15:09 IST
पेपर कप में चाय पीना हो सकता है सेहत के लिए खतरनाक- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/PAPER_CUP59 पेपर कप में चाय पीना हो सकता है सेहत के लिए खतरनाक

अमूमन जब हम कही बाहर चाय पीते हैं तो कांच के गिलास, मिट्टी के कुल्हड़ या फिर कागज से बने गिलास में चाय पीना पसंद करते हैं। हाल में ही एक रिसर्च सामने आई है जिसके अनुसार पेपर से बने कप में चाय पीने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। 

आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं के अनुसार अगर एक व्यक्ति दिनभर में पेपर वाले कप में 3-4 बार चाय पीता हैं तो वह करीब 75 हजार छोटे सूक्ष्म प्लास्टिक कणों को निगल जाता हैं। 

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टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार  पेपर कप को बनाने में सूक्ष्म प्लास्टिक के साथ कई ऐसे घटक का इस्तेमाल किया जाता है जो खतरनाक है। जब इनमें चाय डाल पी जाती हैं तो यह कण आपकी चाय में आ जाते हैं। 

इस रिसर्च में सिविल इंजीनियरिंग विभाग की शोधकर्ता और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुधा गोयल और अन्य शोधकर्ताओं  ने बताया कि 15 मिनट के अंदर यह सूक्ष्म प्लास्टिक की परत गर्म पानी की प्रतिक्रिया में पिघल जाती है।

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दरअसल पेपर कप सह-पॉलिमर के साथ-साथ इसमें एक पतली परत होती है जो हाइड्रोफोबिक फिल्म से बनाई जाती है। जो सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।  शोधकर्ताओं ने इस शोध को करने के लिए 2 अलग-अलग प्रकियाओं का पालन किया। जिसके बाद ये बात सामने आई कि प्लास्टिक आयन जहरीली भारी धातुओं के समान रूप से कार्य कर सकते है। जो शरीर में पहुंचकर भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

पहली प्रक्रिया में, गर्म और पूरी तरह स्‍वच्‍छ पानी (85–90 ◦C; pH~6.9) को डिस्पोजेबल पेपर कप में डाला गया और इसे 15 मिनट तक उसी में रहने दिया गया। जब इस पानी का विश्‍लेषण किया गया तो देखा गया कि उसमें सूक्ष्म-प्लास्टिक की उपस्थिति के साथ-साथ अतिरिक्त आयन भी मौजूद हैं।

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जबकि, दूसरी प्रक्रिया में कागज के कप को शुरू में गुनगुने (30-40 डिग्री सेल्सियस) स्‍वच्‍छ पानी (पीएच/ 6.9) में डुबोया गया और फिर हाइड्रोफोबिक फिल्म को सावधानीपूर्वक कागज की परत से अलग किया गया और 15 मिनट के लिए गर्म एवं स्‍वच्‍छ पानी (85–90 °C; pH~6.9) में रखा गया। जिसके बाद प्लास्टिक फिल्‍म के गर्म पानी के संपर्क में आने से पहले और बाद में उसमें आए भौतिक, रासायनिक और यांत्रिक गुणों में परिवर्तन की जांच की गई।

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