आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व भर में 78 करोड़ से अधिक लोग भूख का सामना कर रहे हैं, उससे भी बड़ी परेशान करने वाली यह बात है कि ऐसे हालात के बावजूद वैश्विक स्तर पर 19 फीसदी खाद्य की बर्बादी हो गई। यूएन की इस रिपोर्ट ने वैश्विक लापरवाही की कलई खोल दी है।
अफ्रीकी देश सूडान में 11 महीने से हिंसक लड़ाई के कारण भूख का संकट गहरा गया है। इसे लेकर यूएन की मानवीय सहायता एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। भुखमरी के कारण 1.8 करोड़ लोगों के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया है। 7 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हो गए हैं।
पाकिस्तान बुरी तरह गरीबी और भुखमरी के चंगुल में फंस चुका है। 1 वर्ष के दौरान विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 39.4 फीसदी गरीब बढ़ गए हैं। पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 23 करोड़ है और इनमें से 9.5 करोड़ लोग गरीबी में जी रहे हैं। इससे पाकिस्तान की बदहाली का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
भूख से बिलबिलाता पाकिस्तान, दो रोटी को मोहताज पाकिस्तान, अपनी बदहाली पर आंसू बहाता पाकिस्तान अब और बुरे हाल में फंसने वाला है। पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों के चलते भारत उसके साथ सिंधु नदी जल समझौते को रद्द करने वाला है। इससे पाकिस्तान के प्यासे मरने की नौबत आने वाली है।
शरीर को फिट रहने के लिए हेल्दी फूड की जरूरत होती है लेकिन कई बार खाना खाने के बाद भी भूख नहीं मिटती है। आइए जानते हैं ये किन बीमारियों का संकेत है।
सूडान में भूख और बीमारी से तड़पकर 71 बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ भी इस दर्दनाक वाक्ये से हैरान है। इस बीच 300 से अधिक बच्चों को भूख और बीमारी से बचाने के लिए सुरक्षित ठिकाने पर ले जाया गया है।
युद्ध और महामारी के चलते दुनिया में तेजी से फैल रही भुखमरी और अस्थिरता ने संयुक्त राष्ट्र को भी हैरान कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रमुख ने शुक्रवार को चेताया।
पाकिस्तान में फैला भुखमरी का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पाकिस्तान को भीख के कटोरे में अमेरिका और सऊदी अरब ने कुछ मदद की तो लगा कि शायद भूख से तड़पते लोगों को कुछ सुकून मिल जाए, लेकिन किस्मत ने फिर दगा दे दिया है। लिहाजा अब सऊदी अरब और पाकिस्तान की मदद के बावजूद पाकिस्तान के भूखों मरने की मजबूरी गले पड़ गई है।
Global Hunger Index 2022: ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 की ताजा रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है। भारत सरकार ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 107वें स्थान पर रखना देश की छवि को खराब करने जैसा है।
Global Hunger Index: ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में भारत की स्थिति और खराब हुई है। 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत 6 पायदान नीचे खिसक कर 107वें नंबर पर आ गया है। 121 देशों की सूची में भारत का 107वां स्थान काफी निराशजनक है।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पाकिस्तान के लगभग 57 लाख लोग गंभीर फूड क्राइसिस का सामना आने वाले तीन महीनों में कर सकते हैं। ये वो लोग हैं, जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है।
Nitin Gadkari: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि देश के भीतर अमीर एवं गरीब के बीच की खाई गहरी हो रही है जिसे पाटने की जरूरत है।
Delhi News: सु्प्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह देश में भूख और कुपोषण से हुई मौतों का आकंड़ा अदालत के समक्ष पेश करे। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने केंद्र से कम्युनिटी किचन स्कीम के कार्यान्वयन के लिए एक मॉडल योजना भी पेश करने को कहा।
Flood in Pakistan: बाढ़ की बर्बादी में बह रहे पाकिस्तान को पैर पर खड़ा होने के लिए अब दसों वर्ष का समय लग सकता है। पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक उसे इस बाढ़ में 28 अरब डॉलर का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में फिर से पाकिस्तान की सामान्य व्यवस्थाओं का पटरी पर आना असंभव लग रहा है।
Pakistan in debt: भयंकर बाढ़ की विभीषिका का सामना कर रहे पाकिस्तान के सामने अब एक नई मुसीबत आकर खड़ी हो गई है। इससे पाकिस्तान के बेमौत मारे जाने की आशंका भी प्रबल हो गई है। दरअसल पाकिस्तान सिर्फ बाढ़ में ही नहीं डूबा है, बल्कि वह भयंकर कर्ज में भी डूब चुका है। इससे उसके लोगों के भूखों मरने की नौबत आ गई है।
ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने चौंकाने वाला बताया है। मंत्रालय अनुसार ये रिपोर्ट जमीनी हकीकत और तथ्यों से परे है।
भुखमरी को लेकर भारत के लिए बुरी खबर है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक जारी किया गया है जिसमें भारत की स्थिती पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी बुरी है।
डब्ल्यूएफपी के प्रमुख डेविड बेस्ले ने एक साक्षात्कार में कहा कि नार्वे की नोबेल समिति उन कार्यों को देख रही थी जो एजेंसी संघर्ष में, आपदा में और शरणार्थी शिविरों में प्रतिदिन करती है। लाखों भूखे लोगों को भोजन मुहैया करवाने के लिए अपने कर्मचारियों की जिंदगी को जोखिम में डालती है।
130 करोड़ लोगों के एक विशाल देश में कुछ बदमाश और जमाखोर भले ही हों, लेकिन वे मानवता के सागर में कुछ बुंदों के बराबर हैं।
संपादक की पसंद