रूस-यूक्रेन युद्ध मामले में एक बड़ी खबर सामने आई है। गूगल को तथाकथित रूप से यूक्रेन युद्ध से जुड़ी भ्रामक जानकारी शेयर करना का दोषी माना गया है। रूसी अदालत ने पहले गूगल को वीडियो हटाने का मौका दिया था। मगर समय सीमा निकल जाने के बाद तक भी वीडियो नहीं हटाया गया तो रूसी कोर्ट ने 32 हजार अमेरिकी डॉलर का जुर्माना ठोका।
सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने कहा है कि वह फर्जी खबरों एवं झूठी सूचनाओं को हटाने की शुरुआत करेगा। भारत समेत दुनिया के कई देशों में फेसबुक पर प्रसारित झूठी और भ्रामक सामग्री के कारण हिंसा फैलने के बाद हो रही आलोचनाओं को देखते हुये सोशल साइट ने यह कदम उठाने का फैसला किया है।
बिना किसी खबर की पुष्टि किए आगे कदम नहीं उठाना चाहिए। अगर आपने भी तमाम वेबसाइट्स पर LIC Recruitment 2018 के तहत AAO पद के लिए 700 वैकेंसी देखकर खुश हो रहे हैं तो ठहरिए। भारतीय जीवन बीमा निगम ने साफ कहा है कि ये खबर झूठी है, फेक है।
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने फरवरी महीने में भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ी 193 शिकायतों को सही ठहराया। जिन कंपनियों के खिलाफ शिकायतों को परिषद ने सही माना उनमें हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल), हिमालय ड्रग कंपनी, ओला और वोडाफोन भी शामिल है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि भारती एयरटेल के आईपीएल की ‘लाइव व नि:शुल्क पहुंच’ संबंधी विज्ञापन के अंत में डिस्क्लेमर बड़े शब्दों में होनी चाहिए। न्यायाधीश योगेश खन्ना ने रिलायंस जियो की याचिका पर सुनवाई करते यह टिप्पणी की।
टेलीकॉम क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एयरटेल ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह IPL कवरेज को लेकर अपने नए विज्ञापन कैंपेन में उचित बदलाव करेगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नए उपभोक्ता संरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने कहा कि इस विधेयक का मकसद उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए प्राधिकरण का गठन करना है। साथ ही इसमें भ्रामक विज्ञापनों से निपटने का भी प्रावधान होगा।
अगर कोई कंपनी, व्यक्ति या संस्था अपने प्रोडक्ट या सेवा के बारे में भ्रामक विज्ञापन जारी करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई ASCI ही करती है
इन विज्ञापनों में मर्क, HUL, डाबर, फाक्सवैगन ग्रुप, जानसन एंड जानसन, अंबुजा सीमेंट, अपोलो हास्पिटल तथा जीसीपीएल के विज्ञापन शामिल हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उपभोक्ता सरंक्षण सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है और उपभोक्ताओं की रक्षा के लिए सरकार एक नया कानून बना रही है।
विज्ञापन क्षेत्र पर नजर रखने वाली संस्था भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ प्राप्त 116 शिकायतों को सही ठहराया है।
कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल में ऐसे प्रावधान हैं जिससे किसी भी प्रोडक्ट के बारे में गलत जानकारी देने पर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है
अगर सेलिब्रिटी यानि किसी वस्तु के बारे में विज्ञापन के जरिए दोबारा भ्रामक जानकारी देता है तो 50 लाख रुपए के जुर्माने के साथ 5 साल की जेल की सिफारिश की गई है
विज्ञापन क्षेत्र के नियामक ASCI ने एप्पल, कोका कोला इंडिया, भारती एयरटेल सहित कई कंपनियों की भ्रामक विज्ञापन दिखाने के लिए खिंचाई की है।
भ्रामक विज्ञापन के मामलों में सिलेब्रिटी और मिलावट में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाने पर सरकार अन्य देशों के कानूनों का अध्ययन करेगी।
भ्रामक विज्ञापन को करने वाले सेलिब्रिटी पर जवाबदेही तय करने संबंधी एक नए मसौदा विधेयक पर आज विचार किया जाएगा। दोषी पाय जाने पर पांच की जेल हो सकती है।
संपादक की पसंद