सफल बोलीदाता को सौंपने के बाद जेट एयरवेज कामकाज और परिचालन शुरू कर सकती है। यह नियामकीय मंजूरी पर निर्भर करेगा। जेट एयरवेज ने बयान में कहा कि एनसीएलएटी ने बिना किसी बदलाव के मूल रूप से स्वीकृत समाधान योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है।
गो फर्स्ट ने मई 2023 में प्रैट एंड व्हिटनी की इंजन विफलताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए दिवालिया घोषित कर दिया। तब से, एयरलाइन कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं में उलझा है।
एनसीएलटी ने कहा था कि दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 29ए ऐसे व्यक्तियों को समाधान योजना जमा करने से रोकती है क्योंकि इसका पूरे सीआईआरपी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सुरक्षा कर्ज में डूबी जेपी समूह की कंपनी में 250 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है, साथ ही अगले चार वर्षों में फ्लैटों को पूरा करने के लिए 3,000 करोड़ रुपये का ऋण भी दे रही है।
एनसीएलटी ने यात्रा के लिए टिकट खरीदने वाले करीब 15.5 लाख यात्रियों को 597.54 करोड़ रुपये वापस करने की याचिका पर फैसला दिया है
समाधान पेशेवर का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रामजी श्रीनिवासन ने कहा कि यह बंद पड़ी एयरलाइन को बहार करने की व्यावसायिक योजना के तहत किया जा रहा है।
विमान और उसके इंजन गो फर्स्ट के व्यवसाय का महत्वपूर्ण घटक हैं और यदि उन्हें हटा दिया गया, तो इसके परिणामस्वरूप कंपनी के रूप में एयरलाइन ‘खत्म’ हो जाएगी
एनसीएलटी ने गो फर्स्ट के मामलों को देखने के लिये अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है। साथ ही ऋणशोधन प्रक्रिया के तहत उसके निदेशक मंडल को निलंबित कर दिया था। गो फर्स्ट ने तीन मई से उड़ानों का परिचालन बंद कर दिया है।
एयरलाइन को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों ने दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की थी।
NCLAT ने बृहस्पतिवार को SMBC एविएशन कैपिटल की याचिका पर सुनवाई की। मामले की आंशिक सुनवाई हुई और दो सदस्यीय पीठ शुक्रवार को सुनवाई जारी रखेगी।
एयरलाइन पर कुल देनदारी 11,463 करोड़ रुपये है। उसने स्वैच्छिक रूप से दिवाला कार्यवाही के लिये आवेदन दिया। साथ ही वित्तीय बाध्यताओं पर अंतरिम रोक का आग्रह किया। गो फर्स्ट पहले ही 15 मई तक टिकट की बिक्री निलंबित कर चुकी है।
हाल ही में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने रिलायंस कैपिटल की कर्ज समाधान प्रक्रिया के लिए समयसीमा 31 जनवरी, 2023 तक बढ़ा दी थी।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने फ्यूचर रिटेल (एफआरएल) के लिये अंतरिम समाधान पेशेवर के रूप में विजय कुमार अय्यर को नियुक्त किया।
एनसीएलएटी ने एबिक्स सिंगापुर के मामले में आए उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा, सीओसी द्वारा समाधान योजना को मंजूरी देने के बाद संबंधित पक्षों के बीच किसी तरह की बातचीत की गुंजाइश नहीं बचती।
एनसीएलटी की दो सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को मामलों की सुनवाई की। केंद्रीय बैंक ने अपने वकील संजय गिनोदिया के माध्यम से याचिकाएं दायर की हैं।
कोलकाता में मुख्यालय वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पिछले साल दिसंबर से मानव संसाधन से जुड़े संकट का सामना कर रहा है।
रिलायंस रिटेल ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि वह फ्यूचर समूह के खुदरा और थोक कारोबार, लॉजिस्टिक्स कारोबार का 24,713 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करेगी। इस सौदे को अमेजन ने चुनौती दी है।
पीठ ने इंडियन बैंक एसोसियेसन से भी कहा है कि वह कंपनी के पूर्व प्रवर्तकों के बैंक खातों और लॉकर्स का ब्योरा उपलब्ध कराये और उन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाये।
रिलायंस इंफ्राटेल पर कुल 4339.58 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है, जबकि सफल समाधान आवेदक ने 3720 करोड़ रुपये की योजना पेश की है।
यरलाइन के वित्तीय ऋणदाताओं ने 7,807.75 करोड़ रुपये का दावा किया था। इस लिहाज से उन्हें समाधान योजना में भारी कटौती का सामना करना होगा।
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