पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को संसदीय चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने पीटाआई का चुनाव चिन्ह ‘क्रिकेट का बल्ला’ छीन लिया है।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की दुश्मनी का दायरा अब पीएम शहबाज शरीफ और उनकी सरकार तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि वह पाक सेना तक जा पहुंचा है। अपनी गिरफ्तारी के लिए पाक सेना चीफ आसिम मुनीर को इमरान खान द्वारा सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद यह दायरा अब और व्यापक हो चुका है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत ने इस बात का स्वागत किया कि पाकिस्तान के लोगों ने आम चुनावों के माध्यम से लोकतंत्र में विश्वास जताया।
क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान (65) का पाकिस्तान का 19वां प्रधानमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है, मगर उनकी किस्मत पर अंतिम फैसला आना अभी बाकी है। पाकिस्तान में 272 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए कम से कम 137 सीटों की जरूरत होती है।
इमरान के निकटतम प्रतिद्वंद्वी शाहबाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने 63 सीटें जीती हैं। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के जेल जाने के बाद पार्टी की बागडोर संभाल रहे शाहबाज ने मतगणना में हेराफेरी और हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए परिणामों को खारिज कर दिया था।
पाकिस्तान की राजनीति पर करीब से नजर रखने वालों का मानना है कि इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में बिलावल की अगुवाई वाली पीपीपी किंग मेकर के तौर पर उभर सकती है।
पाकिस्तान में जो हो रहा है वो भारत के लिए सिर्फ एक सियासी घटना नहीं है। इमरान पीएम बने तो भारत-पाकिस्तान में तल्खी बढ़ सकती है। इमरान खान भारत को लेकर आक्रामक रवैया अपनाते रहे हैं और खराब रिश्तों के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
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