ब्रह्मा जी ने जब स्वायम्भुवमनु और शतरूपा को उत्पन्न किया तब विवाह करने के उपरान्त स्वायम्भुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर सौ वर्षों तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती ने उन्हें आशीर्वाद दिया और फिर विंध्याचल पर्वत चली गईं।
कभी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले इस इलाके को अब समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है। सपा के कद्दावर नेता दुर्गा प्रसाद की इस इलाके में अच्छी पैठ है। क्या सपा के गढ़ में इस बार खिल जाएगा 'कमल'?
जौनपुर के लोगों ने कहा- 'माफिया नहीं शिक्षा रही है जौनपुर की पहचान। नेता ईमानदार हो तो जनता के सामने नहीं टिक सकता कोई भी माफिया।'
शाहगंज के विधायक का दावा है कि वो क्षेत्र में विकास करते हैं यही वजह है कि जनता उनको चुनती है। ललई अखिलेश यादव के नेतृत्व में मंत्री भी रहे । अब सात मार्च को वोटिंग के बाद, 10 मार्च को जब नतीजे आएंगे तब साफ हो जाएगा कि क्षेत्र में विधायक का दावा कितना सच्चा है?
जौनपुर की जनता ने कहा- ' जौनपुर में शांति है। पुल बन रहा है। बिजली समय से मिल रही है, पर रोजगार नहीं मिल पाने से नाराज़गी है।' एक महिला ने कहा- 'सरकार गरीबों को राशन दे रही है, पर कुछ लोग धांधली कर रहे हैं।'
डुमरियागंज विधानसभा सीट से 2017 में बीजेपी के राघवेंद्र प्रताप सिंह बसपा उम्मीदवार सैय्यदा खातून से मात्र 171 वोट से जीते थे। इस बार भी बीजेपी के टिकट पर राघवेंद्र प्रताप चुनाव लड़ रहे हैं। सांप्रदायिक टिप्पणी की वजह से राघवेंद्र प्रताप इस वक्त सुर्खियों में आ गये हैं।
पल्लवी पटेल के खिलाफ उनकी बहन अनुप्रिया पटेल भी केशव प्रसाद को जिताने के लिए सिराथू सीट पर प्रचार कर चुकी हैं।
पर्यटन के दृष्टिकोण से श्रावस्ती बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन आवागमन के संसाधनों की भारी कमी के चलते यहां लोगों की आमद कम ही हो पाती है।
जखनियाँ सीट से विधायक त्रिवेणी राम का दावा है कि उनके कार्यकाल में इस क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। अब विधायक के दावे में कितनी सच्चाई है? यहां की जनता से आप भी सुनिए।
गाजीपुर ज़िले के जंगीपुर विधानसभा में आखिरी चरण में 7 मार्च को वोट डाले जाएंगे। 2017 में कमल की लहर में भी यहां साइकिल ही दौड़ी थी। यह सीट 2012 में अस्तित्व में आई थी, तब से लेकर 2017 तक यहां सपा का कब्जा रहा है। 2022 का चुनाव परिणाम क्या होगा?
'हिजाब में पहचान छुप जाती है, वहीं पगड़ी में किसीकी पहचान नहीं छुपती। इसलिए हिजाब का पगड़ी से तुलना करना सही नहीं है।'
अब्बास अंसारी ने कहा- ‘’BJP जब हारने लगी तो उसने मुझपर मुकदमें करवाए।‘’ मऊ सीट से मुख्तार चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं? इस सवाल के जवाब में अब्बास न कहा कि ‘’जो सत्ता में बैठे लोग हैं वो चाहते हैं कि मेरे पिता की हत्या हो जाए। मुझमें और मेरे पिता में कोई फर्क नहीं है।''
फूलपुर विधायक प्रवीण कुमार सिंह एरन का दावा उनके कार्यकाल में तेजी से हुआ विकास। विपक्ष बोला- झूठ बोलते हैं विधयाक। अब जनता क्या कहती है? आप भी सुनिए
बस्ती में चुनावी चर्चा तो खूब हो रही है, लेकिन आधी आबादी की बात यहां कोई नहीं कर रहा। साल 1985 के बाद से, यहां से किसी भी महिला को विधानसभा पहुंचने का मौका नहीं मिला है।
चुनाव प्रचार करने करहल पहुंचे BJP कैंडिडेट एसपी सिंह बघेल पर हमले के बाद BJP के नेता कहा रहे हैं- 'यह हमला बता रहा है करहल में सपा हार रही है।’
मिश्रिख सीट पर कांटे की टक्कर। इस विधानसभा में क्या फिर कमल खिला पाएंगे रामकृष्ण भार्गव?
देश हो या प्रदेश सरकार बनाने में साधु-संतों का भी बड़ा योगदान रहता है। संतो ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर हुंकार भरी।
मनकापुर विधानसभा में 2017 के विधानसभा चुनाव में BJP से रमापति शास्त्री जीते थे। एक बार फिर बीजेपी ने रमापति शास्त्री पार दांव खेला है। क्या मनकापुर की जनता भी रमापति शास्त्री के साथ है?
गोला गोकर्णनाथ विधानसभा में चौथे चरण में 23 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की जनता ने BJP उम्मीदवार अरविंद गिरि को जीताकर विधानसभा भेजा था। इस बार यहां की जनता किसको भेजना चाहती है विधानसभा?
प्रयागराज के करछना विधानसभा में BJP आज तक जीत का स्वाद नहीं चख सकी है। इस बार सपा के गढ़ में BJP करेगी सेंधमारी? क्या चाहता है करछना क्षेत्र का वोटर?
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