

देश की राजधानी दिल्ली पर इतिहास के अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग शासकों का शासन रहा है।
Image Source : Fileमध्यकाल में दिल्ली पर आमतौर पर मुस्लिम शासकों का कब्जा रहा, लेकिन बीच में एक वक्त ऐसा भी था जब एक हिंदू महाराजा ने यहां शासन किया था।
Image Source : Fileआगे हम आपको न सिर्फ उस हिंदू महाराजा के बारे में बताएंगे बल्कि उसने मुगलों को हराकर दिल्ली पर कैसे कब्जा किया, इसकी जानकारी भी देंगे।
Image Source : Fileविशाल मुगल सेना को हराकर दिल्ली का सिंहासन छीनने वाले उस हिंदू महाराजा का नाम हेमचंद्र विक्रमादित्य था और उन्हें आमतौर पर हेमू के नाम से जाना जाता है।
Image Source : Fileहेमू हरियाणा के रेवाड़ी जिले से थे और उन्होंने कुल मिलाकर 22 लड़ाइयां जीती थीं। यही कारण है कि उन्हें मध्ययुग का नेपोलियन भी कहा जाता है।
Image Source : Fileहेमू के जबरदस्त योद्धा होने के साथ-साथ कुशल प्रशासक भी थे। हालांकि किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया नहीं तो आज के भारत का इतिहास कुछ और होता।
Image Source : Fileपानीपत की लड़ाई में एक दुर्घटना की वजह से हेमू की जीत हार में बदल गई, वर्ना उन्होंने दिल्ली में मुगलों की जगह हिंदू राजवंश की नींव रखी होती।
Image Source : Fileहेमचंद्र का जन्म वर्ष 1501 में हरियाणा में रेवाड़ी के गांव कुतबपुर में एक बेहद ही साधारण परिवार में हुआ था।
Image Source : Fileआगे चलकर वह शेरशाह सूरी के बेटे इस्लामशाह सूरी के विश्वासपात्र बन गए और प्रशासन में उनका हाथ बंटाने लगे।
Image Source : Fileबाद में जब आदिलशाह सूरी बादशाह बने तो उन्होंने हेमू को 'वकील ए आला' यानी कि प्रधानमंत्री का दर्जा दे दिया।
Image Source : Fileजब आदिल शाह को खबर मिली कि हुमायूं ने दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा कर लिया है तो उन्होंने हेमू को मुगलों से टक्कर लेने के लिए भेजा।
Image Source : Fileहेमू ने जब अपनी सेना के साथ कूच किया तो कालपी और आगरा के गवर्नर अब्दुल्लाह उजबेग खां और सिकंदर खां डर के मारे अपना शहर छोड़कर भाग निकले।
Image Source : Fileदिल्ली में हेमू की सेना और मुगलों की सेना के बीच भिड़ंत हुई जिसमें मुगलों की हार हुई। हेमू ने विजेता के रूप में दिल्ली में प्रवेश किया और अपने सिर के ऊपर शाही छतरी लगाकर हिंदू राज की स्थापना की।
Image Source : Fileहालांकि अकबर ने जवाबी हमला किया और हेमू ने यह लड़ाई भी काफी बहादुरी से लड़ी, लेकिन इस दौरान उन्होंने एक नासमझी भरा फैसला लिया।
Image Source : Fileवह जंग के मैदान में सिर पर बिना कवच के हाथी पर बैठकर आए। उनकी सेना की जीत तय थी तभी एक तीर उनकी आंख में आ धंसा।
Image Source : Fileतीर धंसने के बाद भी हेमू ने लड़ना जारी रखा लेकिन थोड़ी देर में वह बेहोश हो गए। इसके बाद अकबर के साथी बैरम खां ने हेमू का सिर धड़ से अलग कर दिया।
Image Source : Fileइस तरह सन 1556 में दिल्ली की गद्दी पर अंतिम हिंदू शासक का अधिकार खत्म हो गया और एक ताकतवर मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई।
Image Source : FileNext : क्या ये है राजधानी दिल्ली की असलियत? बाढ़ ने किया बुरा हाल