रामलला के जन्म पर क्यों रो पड़ीं थीं मां कौशल्या, क्या आप जानते हैं?

रामलला के जन्म पर क्यों रो पड़ीं थीं मां कौशल्या, क्या आप जानते हैं?

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जब राम ने जन्म लिया तो वे पीतांबरधारी और चार भुजाओं वाले थे। उनका पूरा शरीर नीला था और वे मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।

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उनका यह रूप देखकर माता कौशल्या ने गुहार लगाई तब राम बाल स्वरूप में आए।

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रघुवंश और सूर्यवंश से नाता रखने वाले श्रीराम का गोत्र विवस्वान था। उन्हें राम नाम पिता के गुरु वशिष्ठ से मिला था।

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चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नौवीं तिथि की दोपहर के समय राम पैदा हुए थे, इसी तिथि को रामनवमी मनाई जाती है।

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गुरु वशिष्ठ ने कहा था- जो आनंद के समुद्र हैं, जो सुख के राशि हैं, जो लोकों को आनंद देने वाले हों और जो सुख के धाम हैं...उनका नाम राम है।

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श्रीराम जब छोटे थे तब वह ठुमक-ठुमक कर चलते थे, उन्हें देखकर राजा दशरथ और माता कौशल्या स्नेह से भर जाते थे।

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स्वयंवर से पहले ही सीता ने भगवान राम को देख लिया था। शिव का धनुष तोड़ने के बाद राम का ब्याह सीता से हो गया।

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राम 14 साल का वनवास खत्म करने के बाद सबसे पहले कैकेयी से मिले थे और तब भगवान के मन में उनके लिए सिर्फ करुणा थी।

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