बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने क्यों बदला था धर्म, किसे मानते थे अपना गुरु?

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने क्यों बदला था धर्म, किसे मानते थे अपना गुरु?

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संविधान निर्माता और समाज सुधारक भीमराव रामजी आंबेडकर भारतीय राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गए हैं।

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उन्होंने जीवन भर समाज में फैली असमानता, छुआछूत, जातिवाद, ऊंच-नीच और भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाइयां लड़ीं।

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बाबा साहब के धर्म की बात की जाए तो उनका ताल्लुक हिंदू धर्म से था, लेकिन बाद में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया।

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अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले ही डॉ. आंबेडकर ने 3.65 लाख समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था।

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डॉ. आंबेडकर ने दलितों, वंचितों और आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और उन्हें सामाजिक न्याय दिलाने की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए।

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इसलिए दलित समाज के लोग आज भी उन्हें ‘बाबा साहेब’ कहकर श्रद्धा से याद करते हैं और उन्हें अपना मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत और गुरु मानते हैं।

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि डॉ. भीमराव आंबेडकर खुद किसे अपना गुरु मानते थे?

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इसके बारे में उन्होंने अपनी आत्मकथा "मेरी आत्मकथा, मेरी कहानी, मेरी जुबानी" में जिक्र किया है।

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उन्होंने बताया कि उनके पहले गुरु गौतम बुद्ध, दूसरे गुरु संत कबीर और तीसरे गुरु महात्मा ज्योतिबा फुले हैं।

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