नोटों में क्यों लगाया जाता है मैटेलिक धागा, कब हुई थी इसकी शुरुआत?

नोटों में क्यों लगाया जाता है मैटेलिक धागा, कब हुई थी इसकी शुरुआत?

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आपने नोट तो देखें ही होंगे, उसमें लगा ग्रीन रंग या सफेद रंग का धागा भी देखा होगा।

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अक्सर नोटों की असलियत चेक करने के लिए लोग धागे को बारीकी से देखते हैं।

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आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि इसे क्यों लगाते हैं?

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जब नोटों को प्रचलन शुरू हुआ तो नकली नोट के गिरोह भी शुरू हो गए। सरकारें लगातार कोशिश करती रहीं पर इसे रोकने में विफल हो रही थी।

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फिर इंग्लैंड में नायाब तरीका निकाला गया कि नोट में धागा लगाया जाए।

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इग्लैंड में यह तरीका 1848 में खोज लिया गया था, पर अस्तित्व में आते-आते इसे 100 साल लग गए।

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फिर साल 1948 में बैंक ऑफ इंग्लैंड ने इसका इस्तेमाल किया। पहले नोटों के बीच एक काली लाइन नजर आती थी, जिसे नकली नोट माफिया स्याही से बनाकर लोगों को ठग रहे थे।

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फिर ब्रोकेन मेटल का इस्तेमाल किया, इसे भी माफिया कॉपी कर ले रहे थे।

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इसके बाद एक ऐसा सिस्टम बना जिसमें मेटल की जगह प्लास्टिक स्ट्रिप का इस्तेमाल होने लगा, जिसकी नकल आज तक नहीं हो पाई है।

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