माता जानकी के विवाह के लिए राजा जनक ने सीता स्वंयवर का आयोजन किया था, जिसकी शर्त थी शिव धनुष को उठाना।
Image Source : FILE IMAGE लेकिन सीता स्वंयर में मौजूद कई ताकतवर और योद्धा राजा भी शिव धनुष को अपनी जगह से हिला नहीं पाए थे।
Image Source : FILE IMAGE इसके बाद दशरथ नंदन प्रभु श्री राम ने शिव धनुष को न केवल उठाया बल्कि उसे तोड़ भी दिया।
Image Source : FILE IMAGE भगवान राम ने जो शिव धनुष तोड़ा था उसके तीन हिस्से हुए थे।
Image Source : FILE IMAGE धनुष का एक टुकड़ा आकाश में चला गया और दूसरा टुकड़ा पाताल में। तीसरा भाग जनकपुर के धनुषा जिला में जा गिरा। इसी कारण इस जगह का नाम धनुषा पड़ा है।
Image Source : FILE IMAGE धनुषा जिला नेपाल के जनकपुरधाम से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यहां धनुष मंदिर है, जहां हर दिन भक्तगण पूजा करने आते हैं।
Image Source : FILE IMAGE शिव धनुष का असली नाम पिनाक था जिसे शिवजी ने भगवान परशुराम को दिया था। परशुराम ने इस धनुष को राजा जनक को दिया था।
Image Source : FILE IMAGE आपको बता दें कि शिव धनुष के टूटने के बाद ही माता सीता और भगवान राम का विवाह संपन्न हुआ था।
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