करवा चौथ पर चांद देरी से क्यों निकलता है? अगर न दिखे तो क्या करें

करवा चौथ पर चांद देरी से क्यों निकलता है? अगर न दिखे तो क्या करें

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करवा चौथ का व्रत चांद की पूजा के साथ ही पूरा होता है। इसलिए शाम की पूजा के बाद से ही चांद निकलने का इंतजार रहता है।

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लेकिन अमूमन देखा जाता है कि करवा चौथ का चांद सामान्य दिनों के मुकाबले देरी से निकलता है।

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बता दें करवा चौथ पर्व चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है और इस दिन चंद्रमा आम दिनों की तुलना में थोड़ी देरी से ही उदित होता है।

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इसके साथ ही चतुर्थी तिथि पर चांद क्षितिज के पास होता है, इसलिए पेड़, इमारतें या धुंध के कारण उसकी पहली झलक में देर लग जाती है।

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इसके अलावा भारत के हर राज्य में चांद निकलने का समय थोड़ा अलग होता है। पूर्वी राज्यों में पहले और पश्चिमी राज्यों में देर से चांद दिखाई देता है।

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करवा चौथ पर्व अक्टूबर–नवंबर में आता है और इन महीनों में धुंध, बादल या कोहरा होता है। जिससे चांद तो निकल चुका होता है, लेकिन दिखाई नहीं देता।

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मान्यता है कि अगर बादलों की वजह से चांद न दिखे, तो उत्तर दिशा की ओर मुख करके चंद्र देव को मन में प्रणाम करके व्रत खोल लेना चाहिए।

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इसके अलावा पानी के पात्र में चंद्रमा की परछाईं देखकर भी व्रत खोला जा सकता है। यह शास्त्रसम्मत माना गया है।

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या फिर रात में चांद निकलने के निर्धारित समय के बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ा जा सकता है। “ॐ चंद्राय नमः” मंत्र का 108 बार जाप कर चंद्रदेव को नमस्कार करने से भी व्रत पूर्ण माना जाता है।

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