

करवा चौथ का व्रत चांद की पूजा के साथ ही पूरा होता है। इसलिए शाम की पूजा के बाद से ही चांद निकलने का इंतजार रहता है।
Image Source : canvaलेकिन अमूमन देखा जाता है कि करवा चौथ का चांद सामान्य दिनों के मुकाबले देरी से निकलता है।
Image Source : canvaबता दें करवा चौथ पर्व चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है और इस दिन चंद्रमा आम दिनों की तुलना में थोड़ी देरी से ही उदित होता है।
Image Source : canvaइसके साथ ही चतुर्थी तिथि पर चांद क्षितिज के पास होता है, इसलिए पेड़, इमारतें या धुंध के कारण उसकी पहली झलक में देर लग जाती है।
Image Source : canvaइसके अलावा भारत के हर राज्य में चांद निकलने का समय थोड़ा अलग होता है। पूर्वी राज्यों में पहले और पश्चिमी राज्यों में देर से चांद दिखाई देता है।
Image Source : canvaकरवा चौथ पर्व अक्टूबर–नवंबर में आता है और इन महीनों में धुंध, बादल या कोहरा होता है। जिससे चांद तो निकल चुका होता है, लेकिन दिखाई नहीं देता।
Image Source : canvaमान्यता है कि अगर बादलों की वजह से चांद न दिखे, तो उत्तर दिशा की ओर मुख करके चंद्र देव को मन में प्रणाम करके व्रत खोल लेना चाहिए।
Image Source : canvaइसके अलावा पानी के पात्र में चंद्रमा की परछाईं देखकर भी व्रत खोला जा सकता है। यह शास्त्रसम्मत माना गया है।
Image Source : canvaया फिर रात में चांद निकलने के निर्धारित समय के बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ा जा सकता है। “ॐ चंद्राय नमः” मंत्र का 108 बार जाप कर चंद्रदेव को नमस्कार करने से भी व्रत पूर्ण माना जाता है।
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