खाटू श्याम को क्यों कहते हैं हारे का सहारा?

खाटू श्याम को क्यों कहते हैं हारे का सहारा?

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खाटू श्याम कलयुग के सबसे प्रिय और पूज्यनीय भगवान कहलाए जाते हैं, इन्हें हारे का सहारा क्यों कहते हैं आइए जानते हैं।

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पौराणिक कथा के अनुसार बर्बरीक को अपनी मां मौरवी से आशीर्वाद प्राप्त था कि वह जिस कमजोर पक्ष की ओर से खड़े रहेंगे उसकी जीत निश्चित है।

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बर्बरीक महाभारत के शक्तिशाली पात्र भीम के पौत्र थे, उनके पिता का नाम घटोत्कच था।

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बर्बरीक अपनी इच्छानुसार महाभारत का युद्ध देखने के लिए घर से निकले थे।

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भगवान कृष्ण पांडवों को धर्म रक्षा हेतु जिताना चाहते थे।

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वह बर्बरीक को मां से मिले आशीर्वाद के बारे में जानते थे और उन्होंने साधु का भेष धारण कर बर्बरीक को रोका।

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बर्बरीक ने कहा मैं आपकी क्या सेवा करूं, तब श्री कृष्ण ने कहा जो मैं मांगूगा वह आपको देना पड़ेगा।

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बर्बरीक ने वचन दिया, तब श्री कृष्ण अपने साक्षात रूप में प्रकट हुए और उनका शीश मांग लिया।

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बर्बरीक नें भगवान कृष्ण को शीश काट कर भेंट कर दिया।

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श्री कृष्ण प्रसन्न हुए और बर्बरीक को वरदान दिया कि कलयुग में आप सदैव पूज्यनीय होंगे। अतः आपको मेरा ही रूप माना जाएगा।

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मान्यता है कि खाटू श्याम का जिसे आशीर्वाद मिल जाता है उसकी जीत तय होती है, इसलिए उन्हें हारे का सहारा कहते हैं।

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भगवान खाटू श्याम का राजस्थान के सीकर जिले में प्रसिद्ध मंदिर है, जहां दर्शन मात्र से हर कष्ट मिट जाते हैं।

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