इस्लामाबाद: नकदी की कमी से जूझ रही पाकिस्तान की सरकार ने अगले साल के बजट तथा मध्यम अवधि परिदृश्य के लिए कई गंभीर जोखिमों को उजागर किया है। इनमें अनुमान से कम आर्थिक वृद्धि, अप्रत्याशित जलवायु या प्राकृतिक आपदाएं और साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं का खराब प्रदर्शन शामिल है। संसद में प्रस्तुत राजकोषीय जोखिमों पर लिखित वक्तव्य में वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब और सचिव इमदादुल्ला बोसल ने कहा कि तीन जोखिमों...अनुमानित ब्याज दर से अधिक, गैर-कर राजस्व संग्रह से कम और अधिक सब्सिडी ने सभी स्तरों पर राजकोषीय दरों पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है।
हासिल नहीं किया गया लक्ष्य
समाचार पत्र ‘डॉन’ में बयान के हवाले से कहा गया, ‘‘ राजस्व में कमी, सब्सिडी पर व्यय में वृद्धि तथा उच्च ब्याज दरों के कारण संभावित वित्तपोषण आवश्यकताओं से राजकोषीय घाटा तथा ऋण में वृद्धि हो रही है।’’ इसमें राजकोषीय नीति की अंतर्संबंधता तथा राजकोषीय चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया गया। ये जोखिम इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अगले वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान के संघीय राजस्व बोर्ड के लिए 12,970 अरब रुपये का रिकॉर्ड राजस्व लक्ष्य रखा गया है, जो चालू वित्त वर्ष के दौरान 9,415 अरब रुपये के लक्ष्य से 40 प्रतिशत अधिक है। चालू वित्त वर्ष का लक्ष्य हासिल नहीं किया गया है।
पाकिस्तान मे बनाई कर्ज लेने की योजना
पाकिस्तान ने आगामी वित्त वर्ष 2024-25 में कम से कम 23 अरब डॉलर उधार लेने की योजना बनाई है। इसमें 12 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कर्ज भी शामिल है। पाकिस्तान एक जुलाई से 30 जून के वित्त वर्ष का अनुसरण करता है। बजट दस्तावेजों के अनुसार, 2024-25 के लिए रक्षा के लिए पाकिस्तान का 2,122 अरब रुपये का बजटीय आवंटन नकदी की कमी से जूझ रहे देश के सकल घरेलू उत्पाद का सिर्फ 1.7 प्रतिशत है, यह पिछले वर्ष के समान ही है। हालांकि, यह निवर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 के लिए निर्धारित 1,804 अरब रुपये से अधिक है।
पेश किया गया बजट
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने बीते बुधवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 18,877 अरब रुपये का भारी कर वाला बजट पेश किया था। वित्त मंत्री के भाषण और विभिन्न बजट दस्तावेजों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आवंटित 2,122 अरब रुपये 30 जून को समाप्त होने वाले निवर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आवंटित 1,804 अरब रुपये से, 318 अरब रुपये अधिक हैं। (भाषा)
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