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WTO में भारत ने चावल-गेहूं के निर्यात पर पाबंदी की असली वजह बताई, कई देशों ने उठाया था सवाल

भारत ने घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के लिए मई में गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। उसने चावल के टुकड़े के निर्यात पर भी रोक लगाई थी

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Sep 22, 2022 15:17 IST, Updated : Sep 22, 2022 15:17 IST
rice import
Photo:FILE rice import

Highlights

  • भारत ने घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के लिए मई में गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी
  • गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाया था
  • हाल के महीनों में अनाज का निर्यात बढ़ गया है जिससे घरेलू बाजार पर दबाव बढ़ा था

WTO: भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में गेहूं और चावल के निर्यात पर पाबंदी के लगाने के अपने फैसले का बचाव किया है। हालांकि, संगठन के सदस्य कुछ देशों ने भारत के रूख को लेकर चिंता जताई है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। डब्ल्यूटीओ की बैठक पिछले हफ्ते जिनेवा में हुई थी जिसमें अमेरिका, यूरोपीय संघ ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वैश्विक बाजारों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के लिए पाबंदी लगाया

भारत ने घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के लिए मई में गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। उसने चावल के टुकड़े के निर्यात पर भी रोक लगाई थी और उसना को छोड़कर गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाया था। दरअसल, चालू खरीफ सत्र में धान की फसल की बुवाई कम हुई है ऐसे में घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए यह कदम उठाना पड़ा है। अपने फैसले का बचाव करते हुए भारत ने यह स्पष्ट किया है कि चावल के टुकड़े के निर्यात पर पाबंदी इसलिए लगाई गई क्योंकि हाल के महीनों में अनाज का निर्यात बढ़ गया है जिससे घरेलू बाजार पर दबाव बढ़ रहा है। वहीं गेहूं के मामले में खाद्य सुरक्षा चिंताओं की वजह से निर्यात पर पाबंदी लगाने की जरूरत पड़ी है। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘भारत ने कहा है कि ये पाबंदियां अस्थायी हैं और लगातार निगरानी रखी जा रही है।’’

निर्यात फिर से खोलने का अनुरोध

भारत से चावल की टुकड़े और चावल के अन्य उत्पादों का बड़े पैमाने पर आयात करने वाले सेनेगल ने अनुरोध किया है कि इस कठिन वक्त में खाद्य उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वह व्यापार खुला रखे। बैठक में थाइलैंड, ऑस्ट्रेलिया, उरुग्वे, अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, न्यूजीलैंड, पराग्वे और जापान ने भारत के साथ खाद्य कार्यक्रम को लेकर ‘शांति उपबंध’ के उपयोग के संबंध में बात करने का अनुरोध किया है। भारत ने धान किसानों को 10 प्रतिशत की सीमा से अधिक समर्थन देने के लिए अप्रैल में तीसरी बार शांति उपबंध का इस्तेमाल किया था।

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