अगर ईरान इस रूट को बंद करता है तो ये सभी जहाज थम जाएंगे और पूरी दुनिया में तेल-गैस की सप्लाई ठप हो सकती है।
भारत में प्रतिदिन खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से लगभग 1.5 से 2 मिलियन होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से आता है।
जानकार का कहना है कि अगर व्यापक युद्ध छिड़ता है, तो यह ईरान के तेल के उसके ग्राहकों तक प्रवाह को धीमा कर सकता है और दुनिया भर में सभी के लिए कच्चे तेल और गैसोलीन की कीमत को ऊंचा रख सकता है।
कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता अप्रैल 2025 के दौरान बढ़कर 90% हो गई, जो अप्रैल 2024 में 88.5% थी। भारतीय आयात में देश की बाजार हिस्सेदारी अप्रैल में बढ़कर 40% हो गई, जो एक साल पहले 39% थी।
ट्रेजरी विभाग के मुताबिक, इन लेनदेन से होने वाली कमाई का इस्तेमाल ईरान के सरकारी संचालन और आतंकवादी संगठनों को समर्थन के लिए किया जाता है।
कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल दो दिनों में करीब 14% टूट चुका है। ब्रेंट क्रूड का भाव 63.93 डॉलर पर आ चुका है।
बलिया जिले के सागरपाली गांव के पास कच्चे तेल के भंडार की खोज की गई है और ONGC ने खोजबीन के प्रयास शुरू कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, कच्चे तेल का भंडार जमीन के 3,000 मीटर की गहराई पर है।
रूस से जीवाश्म ईंधन आयात के मामले में चीन 235 अरब यूरो (तेल के लिए 170 अरब यूरो, कोयले के लिए 34.3 अरब यूरो और गैस के लिए 30.5 अरब यूरो) के साथ सबसे आगे रहा। सीआरईए के मुताबिक, भारत ने यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से 2 मार्च, 2025 तक के 3 सालों में रूस से कुल 205.84 अरब यूरो के जीवाश्म ईंधन खरीदे।
व्यापार युद्ध के मोर्चे पर वृद्धि ने वैश्विक मांग की चिंताओं को बढ़ा दिया है, जिससे तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। ओपेक+ द्वारा अप्रैल से उत्पादन बढ़ाने की बात कहने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई।
भारत रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदना जारी रखेगा। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यह बात कही है। भारत 30 प्रतिशत तेल रूस से खरीद रहा है।
Crude Oil : अमेरिका ने रूसी तेल सप्लायर्स और जहाजों पर ताजा प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें से अधिकतर सप्लायर्स भारत और चीन को क्रूड ऑयल की सप्लाई करते हैं। ये अब तक के सबसे आक्रामक प्रतिबंध हैं।
रूस अब भी भारत के लिए सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। हालांकि, नवंबर में बड़ी गिरावट आई है। यह जून, 2022 के बाद का सबसे निचला आंकड़ा है।
तेल उत्पादन का कई देशों की अर्थव्यवस्था में अहम रोल है। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में पेट्रोलियम उत्पादों की बड़ी भूमिका है। तो चलिए हम आपको दुनिया के पांच सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों के बारे में बताते हैं।
ऊर्जा और स्वच्छ वायु पर शोध केंद्र (सीआरईए) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि शोधन नियमों में खामियों का लाभ उठाते हुए, भारत अब यूरोपीय संघ को तेल उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है।
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आगे कहा कि हम लगातार उन सभी से एनर्जी खरीदेंगे, जो हमारी कंपनियों को सबसे कम रेट ऑफर कर रहे हैं। यह पीएम नरेंद्री मोदी की लीडरशिप का कॉन्फिडेंस है।
पुरी ने कहा कि इन सभी गतिविधियों से पहले, दुनिया में उत्पादित कच्चे तेल की कुल मात्रा प्रतिदिन 10.5 करोड़ बैरल के करीब थी। तेल निर्यातक देशों के संगठन और उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने अपनी इच्छा से करीब 50 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की है।
मुंबई के सांताक्रूज में स्थित तीन कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस की टीम ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने इस मामले में जुलाई के महीने में ही एक कंपनी पर छापा मारा था।
ईरान के मिसाइल हमले के बाद ये आशंका जताई जा रही है कि इजराइल तेल उत्पादक ईरान के तेल या परमाणु केंद्रों को निशाना बना सकता है। ऐसा होने पर ईरान, इजराइल पर सीधा हमला या होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करके जवाब देने का रास्ता अपना सकता है।
ईरान द्वारा 1 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ मिसाइल हमले के बाद चिंता जताई गई कि इजरायल का रिएक्शन तेहरान के तेल बुनियादी ढांचे को टारगेट करेगी। अगर ऐसा होता है, तो तेल की कीमतें 3 से 5 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं।
Iran Israel War : इजराइल और ईरान के बीच पूरी तरह से युद्ध होता है, तो लाल सागर और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण तेल शिपिंग रूट बाधित हो सकते हैं। इससे कई देशों के लिए तेल की सप्लाई डिले हो जाएगी।
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