रूस से नजदीकी का हवाला देते हुए ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इस बीच रूस ने भारत को तेल पर भारी छूट दे दी है। पुतिन ने जो गिफ्ट भारत को दिया है, यह सुनकर अमेरिका को मिर्ची लगती तय है।
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी TASS को दिए एक इंटरव्यू में भारतीय राजदूत विनय कुमार ने कहा कि नई दिल्ली की प्राथमिकता देश के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
मॉस्को से कच्चा तेल खरीदने पर भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की अमेरिकी कार्रवाई की रूस ने कड़ी निंदा की है। रूस ने कहा है कि अमेरिका इस तरह भारत पर दबाव नहीं डाल सकता।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए लेविट ने कहा कि ट्रंप ने करीब चार साल से रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को खत्म करने के लिए जबरदस्त सार्वजनिक दबाव डाला है।
क्रिस्टोफर वुड ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाना, भारतीय इक्विटी बेचने का कोई कारण नहीं है बल्कि ये भारतीय इक्विटी खरीदने का एक कारण है।
पिछले हफ्ते ट्रंप ने भारत पर रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदने के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। लेकिन ट्रंप ने अभी तक चीन के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है।
भारत अगर रूस से कच्चे तेल का आयात बंद करता है तो चालू वित्त वर्ष में देश का खर्च 9 अरब डॉलर बढ़कर 12 अरब डॉलर हो जाएगा।
मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि सरकारी और प्राइवेट, दोनों तरह की रिफाइनरियों को पसंदीदा स्रोतों से तेल खरीदने की अनुमति है और कच्चे तेल की खरीद एक व्यावसायिक फैसला है।
अमेरिका ने 25 प्रतिशत शुल्क की अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन जुर्माने की राशि अभी तक घोषित नहीं की गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को 48.6 लाख टन पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट किए थे, जिसकी कीमत 4 अरब डॉलर से ज्यादा थी।
पाकिस्तान सरकार की ओर से अभी इस समझौते को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। मौजूदा समय में पाकिस्तान तेल की अधिकांश आपूर्ति मध्य पूर्व से करता है।
चीन और अमेरिका के बाद दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कच्चे तेल के आयातक भारत ने छूट पर उपलब्ध रूसी तेल खरीदना शुरू कर दिया।
रिपोर्ट में संभावित प्रभाव का विवरण देते हुए कहा गया है कि तेल की कीमतों में अचानक उछाल से महंगाई में गिरावट की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और नीतिगत सामान्यीकरण भी नाकाम हो सकता है।
नाटो के सेक्रेट्री जनरल मार्क रुट ने भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी दी थी कि अगर वे रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं, तो उन पर द्वितीयक प्रतिबंधों का भारी असर पड़ सकता है।
ओएनजीसी इस प्रोजेक्ट में निवेश करेगी जबकि बीपी डिजाइन, स्थान के चयन और भू-वैज्ञानिक विश्लेषण जैसी विशेषज्ञता प्रदान करेगी।
भारत कच्चे तेल की जरूरत का 85 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा आयात से पूरी करता है। परंपरागत रूप से पश्चिम एशिया भारत का मुख्य तेल आपूर्तिकर्ता रहा है, लेकिन पिछले 3 सालों में रूस प्रमुख स्रोत के रूप में उभरकर सामने आया है।
इजराइल-ईरान युद्ध के बीच रिफाइनरियों द्वारा भंडारण बढ़ाने के कारण जून में रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात 11 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
अगर ईरान इस रूट को बंद करता है तो ये सभी जहाज थम जाएंगे और पूरी दुनिया में तेल-गैस की सप्लाई ठप हो सकती है।
भारत में प्रतिदिन खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से लगभग 1.5 से 2 मिलियन होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से आता है।
जानकार का कहना है कि अगर व्यापक युद्ध छिड़ता है, तो यह ईरान के तेल के उसके ग्राहकों तक प्रवाह को धीमा कर सकता है और दुनिया भर में सभी के लिए कच्चे तेल और गैसोलीन की कीमत को ऊंचा रख सकता है।
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