21 नवंबर के बाद रूसी तेल का आयात घटकर लगभग 12.7 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया, जो मासिक आधार पर 5.7 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी दर्शाता है।
रूसी कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड जैसी कंपनियों ने फिलहाल रूसी तेल का आयात रोक दिया है।
अमेरिका के दबाव और रूस पर लगे कड़े प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस की ऊर्जा साझेदारी पहले से ज्यादा मजबूत होती दिख रही है। रूस के भारत में राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस ने भारत के लिए एक भरोसेमंद एनर्जी पार्टनर के रूप में खुद को साबित किया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर विदेश मंत्रालय ने साफ संदेश दिया है और अपनी स्थिति फिर से स्पष्ट कर दी है। इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी दुनिया के सामने अपनी बात रख चुके हैं।
एशियाई बाजार में रूसी तेल एक बार फिर भारी छूट पर बिक रहा है। भारत और चीन ने हाल ही में रूसी कच्चे तेल की खरीद घटा दी है, जिसके चलते रूस के लिए यह स्थिति गंभीर आर्थिक दबाव का कारण बन गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 22 अक्टूबर को ल्यूकऑयल के साथ रूस की एक अन्य तेल कंपनी रॉसनेफ्ट पर भी नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। ये दोनों कंपनियां रूस के कुल तेल निर्यात का करीब आधा हिस्सा संभालती हैं।
अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा है कि रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से जुड़े सभी मौजूदा लेनदेन 21 नवंबर तक समाप्त हो जाने चाहिए।
रूस द्वारा यूराल और अन्य ग्रेड के तेल पर दी गई नई और अधिक छूट (औसतन $3.5 से $5 प्रति बैरल, जो जुलाई-अगस्त की $1.5-$2 छूट से काफी अधिक है) के चलते भारत ने शिपमेंट बढ़ाई।
इस महीने के लिए जहाज-ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, रूस से कच्चे तेल के आयात में बढ़ोतरी देखी जा रही है। अगस्त में अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% का दंडात्मक शुल्क लगाया था, ताकि भारत पर दबाव डाला जा सके और वह रूस से कच्चे तेल के आयात को कम करे।
हरदीप पुरी ने कहा कि अगर आप दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कच्चा तेल उत्पादक को हटा देंगे तो आपको खपत में कटौती करनी होगी। इसके परिणाम बेहद गंभीर होंगे।
रूस से नजदीकी का हवाला देते हुए ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इस बीच रूस ने भारत को तेल पर भारी छूट दे दी है। पुतिन ने जो गिफ्ट भारत को दिया है, यह सुनकर अमेरिका को मिर्ची लगती तय है।
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी TASS को दिए एक इंटरव्यू में भारतीय राजदूत विनय कुमार ने कहा कि नई दिल्ली की प्राथमिकता देश के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
मॉस्को से कच्चा तेल खरीदने पर भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की अमेरिकी कार्रवाई की रूस ने कड़ी निंदा की है। रूस ने कहा है कि अमेरिका इस तरह भारत पर दबाव नहीं डाल सकता।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए लेविट ने कहा कि ट्रंप ने करीब चार साल से रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को खत्म करने के लिए जबरदस्त सार्वजनिक दबाव डाला है।
क्रिस्टोफर वुड ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाना, भारतीय इक्विटी बेचने का कोई कारण नहीं है बल्कि ये भारतीय इक्विटी खरीदने का एक कारण है।
पिछले हफ्ते ट्रंप ने भारत पर रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदने के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। लेकिन ट्रंप ने अभी तक चीन के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है।
भारत अगर रूस से कच्चे तेल का आयात बंद करता है तो चालू वित्त वर्ष में देश का खर्च 9 अरब डॉलर बढ़कर 12 अरब डॉलर हो जाएगा।
मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि सरकारी और प्राइवेट, दोनों तरह की रिफाइनरियों को पसंदीदा स्रोतों से तेल खरीदने की अनुमति है और कच्चे तेल की खरीद एक व्यावसायिक फैसला है।
अमेरिका ने 25 प्रतिशत शुल्क की अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन जुर्माने की राशि अभी तक घोषित नहीं की गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को 48.6 लाख टन पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट किए थे, जिसकी कीमत 4 अरब डॉलर से ज्यादा थी।
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