भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 अगस्त को खत्म सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 9.322 अरब डॉलर की भारी गिरावट के साथ 688.871 अरब डॉलर पर आ गया। हाल के समय में यह सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावटों में से एक है।
कारोबारी सत्र के अंत में रुपया 87.70 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 52 पैसे की बड़ी गिरावट है।
FPI ने इससे पहले जून में 14,590 करोड़ रुपये, मई में 19,860 करोड़ रुपये और अप्रैल में 4,223 करोड़ का निवेश किया था।
डोनाल्ड ट्रंप ने 'जीनियस एक्ट' कानून बनाकर डिजिटल करेंसी में वैश्विक नेतृत्व का दावा किया है। उन्होंने BRICS को डॉलर की सत्ता चुनौती न देने की चेतावनी भी दी।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया एक बार फिर कमजोर हो रहा है। यह भारतीय इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर नहीं है।
मंगलवार को घरेलू सर्राफा बाजार में सोना और चांदी की कीमतों में उछाल देखा गया। रुपया 20 पैसे टूटकर 85.59 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया 85.02 पर खुला और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले दिन के कारोबार के उच्चस्तर 84.78 और निचले स्तर 85.18 के बीच घूमता रहा।
Dollar Vs Rupee: डॉलर इंडेक्स 0.34% गिरकर 98.67 पर आ गया है। करीब दो महीने पहले डॉलर इंडेक्स 110 पर पहुंच गया था।
इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपये में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। ये 85.95 पर खुला और फिर इसने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.11 के ऊपरी स्तर और 86.10 के निचले स्तर को छुआ।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हो रहा है। यह भारतीय इकोनॉमी और निर्यातकों के लिए अच्छी खबर है।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को एफआईआई शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 931.80 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
दुनिया की छह प्रतिस्पर्धी मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 100.38 पर आ गया।
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष एवं शोध विश्लेषक (जिंस और मुद्रा) जतिन त्रिवेदी ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निरंतर निवेश से रुपये को समर्थन मिला है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में मजबूती का दौर जारी है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था और आयतकों के लिए राहत की खबर है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार मजबूत हो रहा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है।
रुपये में मजबूती से भारत को आयात करना सस्ता होगा। इससे महंगाई कम करने में मदद मिलेगी। विदेश जाना और पढ़ाई करने का खर्च कम होगा। निवेशकों का भरोसा भारतीय अर्थव्यव्स्था पर बढ़ेगा।
वित्त वर्ष 2025 (जुलाई-मार्च) के पहले नौ महीनों में रेमिटेंस 28.07 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। यह एक साल पहले समान अवधि में 21.04 अरब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 33 प्रतिशत की वृद्धि है।
एक्सपर्ट का मानना है कि किसी भी तेजी से व्यापारियों के लिए बिकवाली के अवसर पैदा हो सकते हैं, जबकि बाजार की स्थितियों में अनुकूल बदलाव से रुपया 85.50 की तरफ बढ़ सकता है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 21 मार्च को समाप्त सप्ताह में 1,794 करोड़ रुपये (19.4 करोड़ डॉलर) के शेयर बेचे हैं।
दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.79 प्रतिशत घटकर 104.91 पर कारोबार कर रहा था।
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