एफपीआई ने सितंबर में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी।
इस उलटफेर के पीछे कई प्रमुख कारक बताए जा रहे हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, उभरते बाजारों में भारत का वृहद आधार अपेक्षाकृत मजबूत बना हुआ है।
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा बिकवाली के बावजूद स्थितियां धीरे-धीरे भारत के पक्ष में हो सकती हैं।
एफपीआई को लेकर आगे की संभावनाओं पर, मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत और अमेरिका से आने वाले वृहद आर्थिक आंकड़े और टैरिफ को लेकर जारी बातचीत, अगले हफ्ते एफपीआई प्रवाह को प्रभावित करेगी।
वी. के. विजय कुमार ने कहा कि लगातार बड़े पैमाने पर घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी से एफपीआई उच्च मूल्यांकन पर पैसा भुनाने और चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया जैसे सस्ते बाजारों में पैसा लगाने में सक्षम हो रहे हैं।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये बिकवाली वैश्विक और घरेलू कारकों, दोनों कारणों से हुई है। अगस्त की बिकवाली फरवरी के बाद सबसे तेज थी।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने (14 अगस्त तक) शेयरों से 20,975 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। इससे पहले जुलाई में उन्होंने स्थानीय शेयर बाजार से 17,741 करोड़ रुपये निकाले थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए हेवी टैरिफ से शेयर बाजार प्रभावित हुआ है। इससे विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं।
FPI ने इससे पहले जून में 14,590 करोड़ रुपये, मई में 19,860 करोड़ रुपये और अप्रैल में 4,223 करोड़ का निवेश किया था।
मई महीने में निवेश करने के बाद जून के पहले सप्ताह में विदेशी निवेशक बिकवाल हो गए हैं।
एफपीआई ने मई में शेयरों में 19,860 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। इस ताजा प्रवाह के बाद 2025 में शेयरों से एफपीआई की निकासी का आंकड़ा घटकर 92,491 करोड़ रुपये रह गया है।
एफपीआई की भारतीय बाजार में खरीद जारी रहने की संभावना है। ऐसे में बड़ी कंपनियों के शेयरों में मजबूती रहेगी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (16 मई तक) अबतक शेयरों में 18,620 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
जानकारों के मुताबिक, 8 मई को खत्म 16 कारोबारी दिनों के लिए लगातार एक्सचेंजों के जरिये 48,533 करोड़ रुपये की संचयी राशि के लिए इक्विटी खरीदी। हाल के दिनों में एफपीआई निवेश की पहचान उनके द्वारा निरंतर खरीदारी रही है।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि इस नए जोश को अनुकूल वैश्विक संकेतों और मजबूत घरेलू बुनियाद ने सहारा दिया है, जिससे उनका भरोसा बढ़ा है।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के संयुक्त निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि वैश्विक व्यापार तनाव कम होने से निवेशकों की धारणा में और सुधार आया।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार के अनुसार, डॉलर इंडेक्स में गिरावट और डॉलर की कमजोरी के चलते एफपीआई अमेरिका से हटकर भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं।
भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशक लगातार पैसा निकाल रहे हैं। इससे बाजार में तेजी लौट नहीं रही है।
आंकड़ों के अनुसार, शेयरों के अलावा एफपीआई ने बॉन्ड से 556 करोड़ रुपये और वोलंटरी रूट से 4,038 करोड़ रुपये निकाले हैं।
एफपीआई ने फरवरी में शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे।
सेबी ने सोमवार को निवेश सलाहकारों और शोध विश्लेषकों को एक साल तक अग्रिम शुल्क लेने की अनुमति देने का फैसला किया।
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़