एक DM और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर में क्या होता है अंतर, जानें

एक DM और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर में क्या होता है अंतर, जानें

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यदि आप सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो क्या आपको यह पता है कि DM और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर में क्या अंतर होता है।

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ज्यादातर लोग DM यानी डिस्ट्रेक्ट मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के पद को एक ही समझ लेते हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं।

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आज हम आपको बताएंगे कि एक DM और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर में क्या अंतर होता है।

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सबसे पहले आपको बता दें कि DM और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, दोनों ही आधिकारिक पद होते हैं लेकिन बिलकुल अलग-अलग।

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जानकारी दे दें कि डिस्ट्रिक्‍ट कलेक्‍टर जिले में राजस्‍व मेनेजमेंट से जुड़ा सबसे बड़ा अधिकारी होता है। जबकि डीएम किसी भी ज़‍िले का सर्वोच्‍च कार्यकारी मजिस्‍ट्रेट ऑफिसर होता है, जो एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी होता है।

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एक DM की जिम्‍मेदारी जिले में अच्छी प्रशासन‍िक व्‍यवस्था(Administrative Law) को बनाए रखने की होती है।

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जबकि, राजस्‍व के मामलों में डिविजनल कमिश्नर और फाइनेंशियल कमिश्नर के जरिए सरकार के प्रति सभी जिम्‍मेदारी डिस्ट्रिक्‍ट कलेक्‍टर की होती है।

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बता दें कि अलग-अलग स्टेट्स में DM की जिम्‍मेदारियों में भी डिफरेंस होता है।

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