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Hindi News बिहार बिहार सरकार बारामुला में शहीद हुए 2 जवानों के आश्रितों को देगी 36-36 लाख रुपये व नौकरी

बिहार सरकार बारामुला में शहीद हुए 2 जवानों के आश्रितों को देगी 36-36 लाख रुपये व नौकरी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के बारामुला में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के दो जवानों के परिजनों को 36-36 लाख रुपये सहायता तथा एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है।

Bihar Chief Minister Nitish Kumar- India TV Hindi Image Source : PTI Bihar Chief Minister Nitish Kumar

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार (19 अगस्त) को जम्मू-कश्मीर के बारामुला में आतंकी हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के दो जवानों के परिजनों को 36-36 लाख रुपये सहायता तथा एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान एवं लवकुश शर्मा की शहादत के सम्मान में इनके परिजनों को राज्य सरकार की ओर से 11-11 लाख रूपये अनुग्रह अनुदान देने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री ने कहा, "इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री राहत कोष से शहीदों के परिवार को 25-25 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसके साथ ही शहीदों के परिवार से एक-एक आश्रित को राज्य सरकार द्वारा नौकरी भी दी जाएगी।" जम्मू-कश्मीर के बारामुला में दो दिन पूर्व आतंकी हमले में बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज थाना क्षेत्र के घोषिया कला गांव निवासी सीआरपीएफ जवान खुर्शीद खान एवं जहानाबाद जिला के शकूराबाद थाना क्षेत्र के अइरा ग्राम निवासी सीआरपीएफ जवान लवकुश शर्मा शहीद हुए थे।

मोहम्मद खुर्शीद खान वर्ष 2002 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे, जो बीते सोमवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में कश्मीर के बारामूला में शहीद हो गए। खुर्शीद खान अपने पीछे पत्नी नगमा के साथ, तीन बेटी जाइदा (13), शब्रीन (8) व आफॅश खातून (6) को छोड़ गए हैं। वहीं, शहीद की पत्नी नगमा ने कहा कि यह मेरे लिए गर्व की बात है कि, मेरे पति ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दिया है। नगमा ने सरकार से यह भी मांग किया है कि, देश के दुश्मन आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।

शहीद लवकुश के पिता ने बताया कि, धारा 370 हटने के बाद करीब एक साल से लवकुश बारामुला में तैनात था और उससे पहले असम में तैनात था।  बता दें कि, दोनो शहीद जवानों का शव मंगलवार (18 अगस्त) को उनके पैतृक गांव पहुंच गया। यहां भारी संख्या में ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में, राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।