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दिल्ली: बारिश के बाद फिर उफान पर यमुना, खतरे के निशान के पार हुआ जलस्तर

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान को पार कर गया है। हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश के पुर्वानुमान के चलते जलस्तर और बढ़ने की आशंका है।

यमुना नदी- India TV Hindi Image Source : PTI यमुना नदी

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक बार फिर यमुना नदी अपने पूरे उफान पर है। देश के उत्तरी राज्यों और ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते यमुना नदी का जलस्तर बुधवार को खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़े के मुताबिक, रात आठ बजे लोहे के पुराने रेलवे पुल पर जलस्तर 205.5 मीटर दर्ज किया गया। बुधवार को यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज पर प्रवाह दर 30,000 क्यूसेक से 50,000 क्यूसेक के बीच रही। 

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश का अनुमान

मौसम विभाग के आंकड़े से पता चलता है कि बुधवार सुबह आठ बजकर 30 मिनट पर समाप्त हुए पिछले 24 घंटे में सफदरजंग मौसम केंद्र पर 37.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। इसी तरह लोधी रोड, आयानगर, मुंगेशपुर और मयूर विहार के मौसम केंद्रों ने क्रमश: 35.1 मिलीमीटर, 26 मिमी, 53.5 मिमी और 110.5 मिमी बारिश होने की जानकारी दी। आईएमडी ने 27 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश का पूर्वानुमान जताया है। 

लोहे के पुराने पुल पर रोकनी पड़ी थी ट्रेनों की आवाजाही 

यमुना का जलस्तर 13 जुलाई को सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 208.66 मीटर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। अब एक बार फिर नदी का जलस्तर खतरे के निशान के आसपास मंडरा रहा है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के बाद हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने से रविवार को दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया था। रेलवे को रविवार रात लोहे के पुराने पुल पर ट्रेनों की आवाजाही रोकनी पड़ी थी।

राहत और पुनर्वास कार्य पर असर 

अधिकारियों ने बताया कि नदी का जलस्तर बढ़ने से राष्ट्रीय राजधानी के बाढ़ प्रभावित इलाकों में चल रहे राहत और पुनर्वास कार्य पर असर पड़ने की आशंका है। सीडब्ल्यूसी के आंकड़े के अनुसार, यमुना का जलस्तर शनिवार रात 10 बजे 205.02 मीटर से बढ़कर सोमवार सुबह तीन बजे 206. 57 मीटर हो गया और फिर इसमें गिरावट शुरू हुई। दिल्ली को इस महीने अभूतपूर्व जलभराव और बाढ़ से जूझना पड़ा। शुरुआत में आठ जुलाई और नौ जुलाई को भारी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर जलजमाव हुआ। इसके बाद हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा सहित यमुना के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदी के जलस्तर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। दिल्ली में यमुना के तटीय इलाकों में बाढ़ के कारण 27,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। बाढ़ के कारण करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों ने इसके लिए नदी के बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण, थोड़े समय में अत्यधिक वर्षा और गाद जमा होने को जिम्मेदार ठहराया था। (इनपुट-भाषा)