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विदेशी गठबंधन के जरिए ग्लोबल पढ़ाई, नई शिक्षा नीति से छात्रों को होगा दोहरा फायदा- डॉ. निरंजन हीरानंदानी

विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से बहुतायत में डिग्री हासिल करने का सिलसिला जारी है। अंतरराष्ट्रीय डिग्री के साथ ज्यादा मूल्यवान पढ़ाई और कैरियर के बेहतर अवसरों की परिकल्पना जुड़ी हुई है।

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विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से बहुतायत में डिग्री हासिल करने का सिलसिला जारी है। अंतरराष्ट्रीय डिग्री के साथ ज्यादा मूल्यवान पढ़ाई और कैरियर के बेहतर अवसरों की परिकल्पना जुड़ी हुई है। कोई भी प्रतिभाशाली व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करने लिए विदेश में रहकर अच्छा-खासा रुतबा हासिल कर लेता है और उसे एक ऐसा दुनिया देखने वाला व्यक्ति माना जाता है, जो विविध संस्कृतियों, लोगों और व्यवसायों से सुपरिचित हो चुका है। यह सब उस व्यक्ति के इंडस्ट्री में कदम रखने और सर्वोत्तम रैंक वाली नौकरियां पाने के लिए उसके बायोडाटा का अभिन्न अंग बन जाता है।

डॉ. निरंजन हीरानंदानी, एचएसएनसी (हैदराबाद सिंध नेशनल कॉलेजिएट) यूनिवर्सिटी के प्रोवोस्ट ने कहा कि छात्र, माता-पिता, अभिभावकया परामर्शदाता भी अपने लक्ष्यों की पूर्ति पर जोर देते हैं तथा उन विदेशी विश्वविद्यालयों में एक सीट हासिल करने की जी-तोड़ कोशिश करते हैं, जो करियर ग्राफ में उछाल ला सकें। शिक्षा के लिए भारत से बाहर जाने वालों की बढ़ती संख्या पुराने ढंग की भारतीय शिक्षा प्रणाली को नया जीवन देने में बरती जा रही कोताही को दर्शाती है। पाठ्यक्रम, अध्यापन कला और शिक्षण-शास्त्र को दोबारा डिजाइन करने हेतु समय निकालने की जरूरत है, जिससे हमारे मानव पूंजी सूचकांक को बरकरार रखने और उसे विकसित करने में मदद मिलेगी। नई शिक्षा नीति ने विदेशी संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ अकादमिक गठजोड़ को बढ़ावा देने के लिए दोहरी डिग्री, संयुक्त डिग्री और जुड़वां व्यवस्था के सहारे भारतीय शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने का एक रोडमैप तैयार किया था।

डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने आगे कहा कि शिक्षा के लिए विदेशी गठबंधन उन छात्रों के लिए वरदान साबित हो सकता है, जो घर से दूर रहने में असमर्थ हैं या अपनी दिलचस्पी वाले डोमेन का वह ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, जो फिलहाल उनकी पहुंच से बाहर है। ये दोहरी डिग्रियां इस तरह के सर्टिफिकेट या डिग्रियों की देश के अछूते छात्रों की विशाल संख्या तक पैठ और पहुंच बढ़ाएंगी। इतना ही नहीं, इस तरह की एक स्थापित और प्रतिष्ठित प्रणाली उस संस्थान की रैंकिंग बढ़ाएगी, जो सुदूर रहने वाले लाखों छात्रों को उच्च शिक्षा मुहैया कराता है। यह भारत में शिक्षा क्षेत्र के लिए हासिल करने लायक एक बेंचमार्क होगा, जिसका एकसमान दृष्टि और एकसमान मिशन के साथ आगे बढ़ने वाले एक जैसे सहयोगी पक्ष संज्ञान लेंगे। ड्रॉप आउट अनुपात घटाने के लिए पत्राचार से पढ़ाई करने का विकल्प महत्वपूर्ण है।

डॉ. हीरानंदानी ने कहा कि राष्ट्र को विदेशी भूमि पर स्थित विश्वविद्यालयों के साथ इस तरह का संयुक्त सहयोगी शिक्षण बढ़ाने के लिए एक समेकित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जो शिक्षक बिरादरी के लिए भी ढेर सारे अवसर खोलेगा। इस प्रकार शिक्षण से जुड़े पेशेवर लोगोंको अपनी क्षमताओं का स्तर बढ़ाने तथा छात्रों को वैश्विक स्तर पर कामयाबी पाने के अवसरों की झड़ी लग जाएगी। इस तरह के शैक्षिक गठबंधन अर्थव्यवस्थाओं, राष्ट्रों, संस्थानों और प्रतिभाओं को अपना ज्ञान और प्रदर्शन व्यापक बनाने के लिए एक विशाल कैनवास मुहैया कराते हैं। इस तरह के आदान-प्रदान और गठबंधन बेहतर आर्थिक संबंध कायम करते हैं, मूल्यवान ज्ञान और संसाधन साझा करने की अनुमति देते हैंतथा रोजगार के वैश्विक अवसरों को बढ़ावा देते हैं।

इसके अलावा भारतीय-विदेशी गठजोड़ जुड़वां संस्थानों के बीच क्रेडिट की मान्यता और उसके हस्तांतरण को संभव बनाते हैं तथा योग्यता में वृद्धि करते हैं। भारतीय नियामक प्रणाली को घरेलू और विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच गठजोड़ की प्रवृत्ति बढ़ाने को प्रोत्साहित करना चाहिए, जो उन्हें नए बाजारों को समझने, नए कौशल विकसित करने, करियर के विभिन्न अवसरप्राप्त करने और व्यक्तिगत विकास करने आदि में सक्षम बनाती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ गठबंधन करने की कई खूबियां हैं जो वैश्विक स्तर तक पहुंचने में सहायक होंगी। क्लस्टर यूनिवर्सिटी मुंबई के तीन प्रतिष्ठित कॉलेजों- केसी कॉलेज, एचआर कॉलेज और बॉम्बे टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज (बीटीटीसी) को मिलाकर गठित की गई है।

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