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Google ने 'मल्लिका-ए-गजल' बेगम अख्तर को यूं किया याद

दादरा, ठुमरी और गजल में महारत हासिल करने वाली बेगम अख्तर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के अलावा पद्मश्री से भी नवाजी गई थीं...

Google Doodle Begum Akhtar- India TV Hindi Google Doodle Begum Akhtar

नई दिल्ली: गजल की दुनिया में सबसे महान गायकों में से एक और 'मल्लिका-ए-गजल' के नाम से प्रसिद्ध बेगम अख्तर की 103वीं जयंती पर शनिवार को गूगल ने एक विशेष डूडल के जरिए उन्हें याद किया। दादरा, ठुमरी और गजल में महारत हासिल करने वाली बेगम अख्तर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के अलावा पद्मश्री से भी नवाजी गई थीं। इसके अलावा अख्तर को मरणोपरांत पद्म भूषण भी दिया गया था।

गजल की मल्लिका की याद में गूगल ने एक खास डूडल तैयार किया। इस खूबसूरत डूडल में बेगम अख्तर सितार बजाती दिख रही हैं। वहीं, उनके कुछ प्रशंसक भी उनके पास बैठे नजर आ रहे हैं। बेगम अख्तर का जन्म 1914 में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में हुआ था। अख्तर का बचपन का नाम अख्तरी बाई फैजाबादी था। बेगम अख्तर को केवल गजल शैली में ही नहीं, बल्कि दादरा और ठुमरी जैसे भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी महारत हासिल थी। ‘नसीब का चक्कर’, ‘द म्यूजिक रूम’, ‘रोटी’, ‘दाना-पानी’ और ‘एहसान’ समेत कई फिल्मों के गीतों को उन्होंने अपनी आवाज दी। बेगम अख्तर ने कई नाटकों और फिल्मों में अभिनय भी किया।

अख्तर को भारतीय संगीत में उनके योगदान के लिए पद्मश्री और पद्म भूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। प्रारंभिक गायिकाओं में शामिल अख्तर को महफिलों या निजी समारोहों में गाने के स्थान पर सार्वजनिक समारोहों में कार्यक्रम पेश करने की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है। वर्ष 1945 में उन्होंने इश्तिआक अहमद अब्बासी से शादी की थी जो पेशे से वकील थे। अख्तर का 30 अक्टूबर, 1974 को निधन हो गया था।

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