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Hindi News मनोरंजन बॉलीवुड Birthday Special: अंडा बेचने वाले महमूद इस तरह बने बॉलीवुड के 'कॉमेडी किंग', जन्मदिन पर जानिए दिलचस्प कहानी

Birthday Special: अंडा बेचने वाले महमूद इस तरह बने बॉलीवुड के 'कॉमेडी किंग', जन्मदिन पर जानिए दिलचस्प कहानी

बॉलीवुड के कॉमेडी किंग महमूद अली का आज जन्मदिन है। भले ही महमूद आज हमारे बीच नहीं हो लेकिन उनकी यादें आज भी हमारे साथ है।

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बॉलीवुड के कॉमेडी किंग महमूद अली का आज जन्मदिन है। भले ही महमूद आज हमारे बीच नहीं हो लेकिन उनकी यादें आज भी हमारे साथ है। बता दें कि साल 2004 में लंबे बीमारी के कारण महमूद निधन हो गया था। जब महमूद का निधन हुआ उस वक्त वह 71 साल के थे। महमूद की एक बात जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती है वह यह कि एक एक्टर होने के साथ-साथ सिंगर, डॉयरेक्टर, प्रोड्यूशर और जबरदस्त कॉमेडियन थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि महमूद बॉलीवुड के एकमात्र कॉमेडियन थे जिनकी फीस हीरो से ज्यादा थी।

सिर्फ इतना ही नहीं महमूद को जितने अवार्ड मिले शायद ही उतने किसी एक्टर को मिले हो। आपको बता दें कि महमूद फिल्मफेयर अवार्ड में 25 बार नॉमिनेट हो चुके हैं। और बेस्ट कॉमिक रोल के लिए 19 अवार्ड उन्हें मिल चुका है। आपको बता दें कि अवार्ड देने का प्रचलन ही 1954 से हुआ और 1967 में बेस्ट कॉमेडियन अवार्ड की कैटेगरी की शुरुआत की गई। और महमूद ऐसे एक्टर थे जिन्हें 6 बार बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड मिल चुका है।

महमूद का पूरा नाम महमूद अली था फिल्म इंडस्ट्री में महमूद का नाम इस कदर कायम था कि उनके बिना कोई भी फिल्में अधूरी मानी जाती थी। महमूद जितने बेहतरीन एक्टर थे उतने ही दरियादिल वाले थे। शायद ही फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कोई शख्स हो जो महमूद को पसंद नहीं करता हो।​

इंडियन सिनेमा के इस महान कलाकार ने अपने पूरी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, यही नहीं उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में 'किंग ऑफ कॉमेडी' का दर्जा भी मिला। आपको बता दें कि फिल्म किसमत वह पहली फिल्म थी जिसमें महमूद ने बतौर बाल कलाकर काम किया था। महमूद के पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम किया करते थे। लेकिन घर में पैसों की तंगी की वजह से महमूद मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनो में टॉफियां बेचा करते थे।

महमूद का बचपन

महमूद बचपन से काफी मेहनती थी और घर की तंगी की वजह से पैसे कमाने के लिए उन्होंने मुबंई का रूख किया। जब महमूद मुंबई पहुंचे तब उनके पॉकेट में सिर्फ 50 रूपए थे जो उनके पिता ने अपनी घड़ी बेचकर दी थी। मुंबई पहुंचकर उन्होंने उस 50 रूपए से फ्रंटियर मेल का टिकट खरीदा। फिर कुछ दिन बाद निर्देशक एचएस रवैल के सहायक निर्देशक के तौर पर काम करने के अवसर मिला।

महमूद अली की जिंदगी में पैसे की इतनी ज्यादा तंगी थी जिसकी वजह से वह पैसे कमाने कमाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। उन्होंने पेपर बेचने के साथ-साथ अंडे बेचना शुरू कर दिए था। महमूद की बचपन की एक कहानी काफी मशहूर है। एक बार की बात है जब महमूद की मां ने उनसे एक बात कही थी, उन्होंने कहा कि, तुम्हारे शरीर पर जो कपड़े हैं, वो भी तुम्हारे अपने नहीं, बाप के दिए हुए हैं। मां की यह बात सुनते ही महमूद अपने सारे कपड़े उतारने लगे।

नादान' से बदली किस्मत
फिल्म 'नादान' से महमूद की किस्मत पूरी तरह से बदल गई। फिल्म नादान महमूद का काफी फिल्मी अंदाज में मिली। कहा जाता है कि अपने समय की सुपरहिट एक्ट्रेस मधुबाला के सामने एक जूनियर एक्टर लगातार दस रीटेक के बाद भी अपना डॉयलोग नहीं बोल पाया। फिर मधुबाला ने फिल्म के निर्देशक हीरा सिंह से कुछ कहा और थोड़ी देर बात हीरा सिंह महमूद के सामने आए और कहा कि यह डायलोग तुम बोल सकते हो फिर क्या था महमूद ने बिना रिटेक के एक बार में ही पूरी डायलोग बोल दी। बता दें कि इस फिल्म में महमूद को बतौर 300 रुपये मिले जबकि बतौर ड्राइवर महमूद को महीने मे मात्र 75 रुपये ही मिला करते थे।

मैन ऑफ मूड्स
महमूद को मैन ऑफ मूड्स कहा जाता था। महमूद: अ मैन ऑफ मेनी मूड्स किताब  में इस बात का जिक्र किया गया है कि महमूद इंडस्ट्री में अपने अफेयर्स के लिए जाने जाते थे। कहा जाता है कि उनकी कॉमेडी सिर्फ स्क्रीन पर ही नहीं आम जिंदगी में भी देखने को मिलती थी। सिर्फ इतना ही नहीं वह अपनी नौकरानियां से भी फ्लर्ट करते थे।

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