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‘मॉम’ की श्रीदेवी की इस बात से मुझे ऐतराज है !

श्रीदेवी की फिल्म ‘मॉम’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। फिल्म समीक्षकों ने फिल्म की काफी सराहना की है। ये फिल्म है भी तारीफ के काबिल।

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नई दिल्ली: श्रीदेवी की फिल्म ‘मॉम’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। फिल्म समीक्षकों ने फिल्म की काफी सराहना की है। ये फिल्म है भी तारीफ के काबिल। एक मां जिसके लिए उसकी सौतेली बेटी उसकी खुद की बेटी जितनी ही प्यारी है। जिसे उसकी चिंता भी है और उससे प्यार भी है। लेकिन क्या गुजरेगी ऐसी मॉम पर जिसकी बेटी का रेप हो जाए? और वो बेटी जिसे वो अपना बनाने की हर कोशिश में लगी है वो एक दिन उसे गटर में जख्मी हालत में मिले? ऐसी मां के किरदार को श्रीदेवी ने बड़े पर्दे पर बखूबी जिया है, अपने शानदार अभिनय से एक बार फिर उन्होंने साबित कर दिया कि श्रीदेवी का करियर अभी खत्म नहीं हुआ है। लेकिन इस ‘मॉम’ की एक बात से मुझे ऐतराज है।

श्रीदेवी जिन्होंने देवकी का किरदार निभाया है, उनकी बेटी वैलेंटाइन डे पर अपने दोस्तों के साथ पार्टी के लिए निकल जाती है। देवकी उसे रात 12.30 बजे ये पूछने के लिए कॉल करती है कि वो घर कब लौट रही है? वो कहती है, ‘’मैं निकल रही हूं और 40 से 45 मिनट में घर पहुंच जाऊंगी।‘’ 2 घंटे हो जाते हैं मगर उसकी बेटी घर नहीं पहुंचती है। देवकी को चिंता होती है और वो उस जगह पहुंच जाती है जहां पार्टी चल रही होती है। वहां उसे बेटी नहीं मिलती तो वो पुलिस स्टेशन पहुंचती है। वहां बैठे पुलिसवालों से वो कहती है उसकी बेटी अभी तक घर नहीं पहुंची। एक पुलिसवाला बोलता है, ‘’मैडम की रिपोर्ट लिख लो, इनकी बेटी घर से गायब है।‘’ इस पर देवकी कहती है ‘’गायब नहीं है मेरी बेटी, बस घर नहीं पहुंची।‘’ इस पर पुलिसवाला बोलता है, ‘’हां एक ही बात है।‘’ फिर दूसरा पुलिसवाला बोलता है, ‘’अरे परेशान मत हो मैडम, वैलेंटाइन डे है, घूम रही होगी अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ आ जाएगी घर, अब लड़कियां ये सब मां-बाप को थोड़ी बताकर जाएंगी। आजकल के बच्चे ऐसे ही होते हैं।‘’ इस पर देवकी जवाब देती है ‘मेरी बेटी ऐसी नहीं है।‘ बस श्रीदेवी के बोले इसी डायलॉग से मुझे ऐतराज है। क्या किसी लड़की का ब्वॉयफ्रेंड है और वो उसके साथ वैलेंटाइन डे मना रही है तो वो अच्छी लड़की नहीं है? ‘ऐसी नहीं है’ का क्या मतलब होता है?

यहां पढ़िए, मॉम का रिव्यू

श्रीदेवी खुद भी दो बेटियों की मां हैं, क्या उन्हें डायलॉग बोलते वक्त ये नहीं लगा कि ये गलत है? कहते हैं हमारी फिल्में हमारे समाज का आइना हैं। तो क्या हमारा समाज, हमारा बॉलीवुड और वो हीरो-हीरोइन जिन्हें हम आंखें बंद करके फॉलो करते हैं, क्या सबकी यही सोच है कि ब्वॉयफ्रेंड के साथ वैलेंटाइन डे मनाने वाली लड़कियां अच्छी लड़कियां नहीं होती हैं? और हम ये कहकर कि हमारी बेटी ऐसी नहीं है उन तमाम लड़कियों को गलत कह रहे हैं, जिनके ब्वॉयफ्रेंड होते हैं या जो ब्वॉयफ्रेंड के साथ वैलेंटाइन डे मनाती हैं।

ऐसा हो सकता है कि कोई मां जिससे पुलिसवाला इस भाषा में बात करे उसे उस वक्त बुरा लग सकता है, लेकिन अगर हम किसी ऐसे मजबूत टॉपिक पर फिल्म बना रहे होते हैं तो हमें इन छोटी चीजों का भी ध्यान रखना चाहिए। मुझे ‘मॉम’ की श्रीदेवी की इस बात से ऐतराज है।

(ये लेखिका के विचार हैं, जरूरी नहीं खबर इंडिया टीवी इससे सहमत हो।)

Twitter: jyotiijaiswal

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