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जायरा वसीम VS नफीसा अली, एक ने बॉलीवुड छोड़ा, दूसरी को चाहिए दमदार रोल

एक एक्टिंग छोड़  रही है और दूसरी को चाहिए काम। क्या कर्म को धर्म से जोड़कर देखने पर कर्म के मायने बदलना सही है?

actress- India TV Hindi Image Source : GOOGLE actress

बॉलीवुड में पिछले कई दिनों से जायरा वसीम (Zaira Wasim) का इंडस्ट्री छोड़ने का बयान छाया हुआ है। दूसरा बयान हाल ही में आया है और इस बयान को देने वाली भी उसी धर्म से वास्ता रखती हैं जिससे जायरा वसीम। बात हो रही है 62 साल की बेहतरीन अदाकारा नफीसा (Nafisa Ali) अली की। जी हां, कुछ समय पहले कैंसर से जंग जीतकर लौटी नफीसा अली को बॉलीवुड में काम चाहिए और इसके लिए उन्होंने बिना हिचके सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपनी मंशा जाहिर की है। नफीसा ने इंस्टाग्राम पर अपनी फोटो के साथ लिखा है  कि वो भारतीय सिनेमा में एक अच्छा रोल निभाना चाहती हैं, एक सीनियर एक्टर होने के तौर पर वो एक परफेक्ट स्क्रिप्ट की तलाश में हैं ताकि अपने इमोशंस को एक्सप्रेस कर सकें।

मुद्दा ये है कि 18 साल की जायरा धर्म की राह पर चलने के लिए एक्टिंग छोड़  रही हैं और दूसरी तरफ 62 साल की नफीसा के मन में अभी भी अपने कर्म यानी एक्टिंग को लेकर आग बरकरार है। कौन सही है और कौन गलत। क्या दोनों सही हैं या दोनों गलत। लेकिन इतना तय है कि धर्म कर्म करने से मना नहीं करता। आप क्या कर्म कर रहे हैं, वो आपकी काबिलियत के अनुसार है या नहीं और अगर है तो उसे करने में हिचक कैसी। 

जायरा अभी छोटी हैं, उनका ये कहना कि एक्टिंग की वजह से वो धर्म से दूर होती जा रही थी, कितना सही है, ये कोई दूसरा नहीं खुद जायरा जानती होंगी। तभी उन्होंने इतना संवेदनशील बयान दिया। नफीसा परिपक्व हैं, उन्होंने दुनिया देखी है, धर्म का दामन छोड़े बिना कर्म कैसे किया जाता है, सिर्फ नफीसा ही नहीं और भी कई नामचीन सितारे इसकी मिसाल बन सकते हैं। 

सबसे बड़ी बात, अगर जायरा धर्म के आधार पर इंडस्ट्री छोड़ने का दावा केवल पब्लिसिटी पाने के लिए कर रही हैं तो ये और गलत बात है, आगे से इंडस्ट्री नए एक्टरों पर भरोसा करना बंद कर देगी। ये उन एक्टरों की भावनाओं के साथ भी धोखा होगा, जो जायरा के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं। 

बहरहाल बात हो रही है नफीसा अली की, कई फिल्मों में गजब की एक्टिंग कर चुकी नफीसा अली को 62 साल में भी ऐसा नहीं लगा कि इतनी बड़ी बीमारी होने के बाद अब उन्हें आराम करना चाहिए, वो दुनिया को दूर बैठे देखने की बजाय  साथ चलना चाह रही हैं तो गलत कुछ नहीं है। इससे तमाम एक्टरों को सीख लेनी चाहिए।

जायरा सहीं हैं या गलत, ये आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना तय है कि कुरान में कहीं नहीं लिखा कि कर्म हराम है। बाकी व्याख्या इंसानों की है जिसे मानना न मानना भी इंसानों पर निर्भर करता है।

एक्टिंग का क्रेश कोर्स करके इसे पेशे की तरह नफे नुकसान में तोलने वाले एक्टरों को नफीसा अली से सीखना चाहिए कि एक्टिंग एक कीड़ा है जो सही इंसान को काट जाए तो बुढ़ापे में भी काम करने की शिद्दत रखता है। हां आप किसी चीज को आधार बनाकर पलायन करना चाहें तो कर सकते हैं लेकिन प्लीज धर्म को इसमें मत घसीटिए, ये शुद्ध रूप से कर्म का मामला है।

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