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Gehraiyaan Movie Review: दीपिका पादुकोण और सिद्धांत चतुर्वेदी की फिल्म में कितनी हैं 'गहराइयां'?

दीपिका पादुकोण और सिद्धांत चतुर्वेदी के किरदार - अलीशा और जेन के रिश्ते के प्यार को साबित करने की कोशिशों में निर्देशक द्वारा लादी गई तकलीफों और मुश्किलों का अंबार झेलना 'गहराइयां' का हासिल है।

India TV Entertainment Desk 11 Feb 2022, 12:15:21 IST
मूवी रिव्यू:: गहराइयां
Critics Rating: 2 / 5
पर्दे पर: Feb 11, 2022
कलाकार: दीपिका पादुकोण
डायरेक्टर: शकुन बत्रा
शैली: रोमांटिक ड्रामा
संगीत: कबीर कथपालिया, सवेरा मेहता

अमेजन प्राइम पर दीपिका पादुकोण और सिद्धांत चतुर्वेदी की मच अवेटेड फिल्म 'गहराइयां' रिलीज कर दी गई है। दीपिका पादुकोण के फैंस को फिल्म का बेसब्री से इंतजार था। हालांकि, दीपिका फिल्म '83' में नजर आईं थी, लेकिन यह 'छपाक' के बाद दीपिका का लीड रोल में वापसी करने का मौका भी था। क्या शकुन बत्रा के निर्देशन में बनी फिल्म 'गहराइयां' दर्शकों जेहन में गहरा उतर पाई है? आइए जानते हैं। 

फिल्म का ट्रेलर आने के बाद लोगों को अनुमान था कि फिल्म में रिश्तों के दोहराव में उपजी एक अलग प्रेम कहानी देखने को मिलेगी। दर्शकों के इस उम्मीद को फिल्म कायम रखती है लेकिन उतना ही जितना ट्रेलर में नजर आता है। इमोशन के भाव में 'गहराइयां' के गहरा उतर पाने का भाव, बतौर दर्शक इसे फील कर पाना मुश्किल होता है। फिल्म की कहानी से नएपन की उम्मीद करना गलत होगा क्योंकि लव ट्रायंगल पर फिल्मों को बनना बॉलीवुड का आम शगल है। 

ट्रेलर के ट्रेलर की तरह ही फिल्म में अंतरंग पलों और बोल्ड सीन्स की भरमार है, शायद एलीट क्साल को ध्यान में रख कर इस फिल्म के जरिए उनकी लाइफस्टाइल की गहराइयों तक पहुंचने की कोशिश की गई होगी। बहरहाल, फिल्म बेहद धीमी गति से चलती है जिससे बोरियत के सिवा कुछ और अनुमान कर पाना मुश्किल होगा। अलीशा-जेन के रिश्ते के प्यार को साबित करने की कोशिशों में निर्देशक के द्वारा तकलीफों और मुश्किलों का लादा अंबार झेलना ही 'गहराइयां' का हासिल है।    

फिल्म के कलाकारों की एक्टिंग पर गौर करें तो दीपिका पादुकोण (अलीशा), सिद्धांत चतुर्वेदी (जेन), अनन्या पांडे (तान्या) और धैर्य करवा ने एक्टिंग की है। दीपिका पादुकोण ने एक्टिंग के अपने बेहतरीन किरदारों में एक कड़ी और जोड़ी है। 'गहराइयां' में उनकी एक्टिंग का 'पीकू' जैसे उनके किरदार के साथ तुलना किया जा रहा है। सिद्धांत चतुर्वेदी की एक्टिंग का ग्राफ लगातार गिर रहा है। 'बंटी और बबली' की एक्टिंग के स्तर को उन्होंने इस फिल्म में भी दोहराने की कोशिश की है। उनसे ये उम्मीद भी करना अब मुश्किल हो रहा है कि उन्होंने गली बॉय जैसी क्रिटिकली अक्लेम्ड फिल्म में एक्टिंग की है। अनन्या पांडे अपने किरदार से ज्यादा यंग नजर आईं, जिनसे गंभीरता की आशा करना बेमानी लगता है। उन्हें फिल्म में फिलर्स के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। धैर्य करवा की एक्टिंग को चौथे दर्जे का मानने के बजाए दीपिका के बाद आंका जाना ज्यादा सही होगा।

निर्देशक शकुन बत्रा एक दशक की अपनी तीन फिल्मों में कुछ ऐसा करने में नामाक रहे हैं, जिसके लिए उन्हें याद रखा जाए। इसके अलावा जो सबसे ज्यादा जरूरी बात है वह ये कि फिल्म को वक्त देने के साथ मनोरंजन की उम्मीद कर रहे दर्शकों निराशा ही हाथ लगेगी।