A
Hindi News मनोरंजन टीवी Birthday Special: कभी खुदकुशी करना चाहते थे कैलाश खेर, आज हैं सक्सेसफुल सिंगर

Birthday Special: कभी खुदकुशी करना चाहते थे कैलाश खेर, आज हैं सक्सेसफुल सिंगर

सूफी गानों के सरताज और बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर का जन्मदिन 7 जुलाई को होता है। फिल्म और संगीत इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए कैलाश खेर को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा था।

<p>Kailash Kher</p>- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM Kailash Kher

सूफी गानों के सरताज और बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर का जन्मदिन 7 जुलाई को है । फिल्म और संगीत इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए कैलाश खेर को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा था। अपनी अलग आवाज और अंदाज से बॉलीवुड में पहचान बनाने वाले कैलाश खेर का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हुआ था। उनके पिता पंडित मेहर सिंह खेर कश्मीरी पंडित थे और लोक गीतों में भी रुचि रखते थे। अपने पिता को देख कैलाश को भी संगीत का जुनून बचपन से ही चढ़ गया था और उन्होनें 4 साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था। 

Image Source : InstagramKailash Kher

संगीत सीखने के लिए घर छोड़ा

जब उन्होंने गायकी को अपनी जिंदगी बनाने की ठानी तो उनके परिवार ने इसका विरोध किया लेकिन कैलाश भी कहां हार मानने वाले थे। उन्होंने 14 साल की उम्र में संगीत के लिए अपना घर छोड़ दिया। संगीत की बेहतर शिक्षा लेने के लिए परिवार वालों से लड़कर दिल्ली आ गए थे। इस दौरान कैलाश काफी घूमे-फिरे। वो जगह-जगह जाकर लोक संगीत के बारे में पढ़ने जाने लगे। इसके बाद उन्होंने काफी संघर्ष किया। इतनी कम उम्र में इस रास्ते पर निकलना आसान नहीं था। गुजारा के लिए कैलाश बच्चों को संगीत के ट्यूशन देने लगे और इस पैसे से अपने खाने, पढ़ाई और संगीत का खर्चा निकालते थे।

डिप्रेशन की वजह से करना चाहते थे आत्महत्या

कैलाश खेर न सिर्फ हिंदी बल्कि भारत की कई क्षेत्रीय भाषा में भी गाने गाए हैं। साल 1999 कैलाश खेर के लिए सबसे कठिन वर्षों में से एक रहा। कैलाश ने 1999 में अपने दोस्त के साथ हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू किया। कैलाश और उनके दोस्त को इसमें भारी नुकसान हुआ। उनहोंने इस गम में आत्महत्या करने की कोशिश भी की थी, डिप्रेशन के चलते ऋषिकेश का रुख किया था।

Image Source : InstagramKailash Kher

कैलाश ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद साल 2001 में मुंबई चले गए। हालांकि मुंबई में गुजारा करना इतना असान भी कहां था। गुजारा करने के लिए कैलाश खेर को गायकी के जो कुछ भी ऑफर मिलते थे उसे तुरंत अपना लेते। उनके पास स्टूडियो जाने के पैसे नहीं होते थे। घिसी हुई चप्पलें पहन कर कैलाश मुंबई की गलियां छानते थे। कैलाश के लिए ये शहर नया जरूर था लेकिन संगीत के जूनून ने उन्हें इस मुश्किल दौर में हिम्मत दी। कैलाश की जिंदगी में उम्मीद की किरण तब नजर आई जब वो म्यूजिक डायरेक्टर राम संपत से मिले और उन्होंने कैलाश को एड में  गाने का मौका दिया। उनकी अलग आवाज सभी को पसंद आई। इसके बाद तो कैलाश के पास गाने कि लाइन लग गई। उन्होंने पेप्सी से लेकर कोका-कोला जैसे बड़े ब्रैंड्स के लिए गाए। जहां टीवी में उनका नाम बढ़ता जा रहा था वहीं बॉलीवुड की राह अब भी उनसे कोसों दूर थी। 

फिल्मों में गाने के लिए कैलाश को काफी मेहनत करनी पड़ी। इस मेहनत का फल उन्हें 'अंदाज' फिल्म में मिला। इस फिल्म में कैलाश ने 'रब्बा इश्क न होवे' गाना गाया था। ये गाना आते ही लोगों की जुबान पर चढ़ गया। इसके बाद 'वैसा भी होता है' पार्ट 2 में कैलाश ने गाना 'अल्लाह के बंदे' गाया। इस गाने की लोकप्रियता ऐसी है कि कैलाश आज भी इसी गाने से जाने जाते हैं। इसके बाद कैलाश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बॉलीवुड में उन्होंने 'रब्बा', 'ओ सिकंदर' और 'चांद सिफारिश' जैसे गाने गाए हैं। इनमें से दो गानों के लिए कैलाश को फिल्मफेयर का बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड भी मिल चुका है। 

Image Source : InstagramKailash Kher

 कैलाश ने हिंदी में 700 से ज्यादा गाने गाए हैं। इसके अलावा वो नेपाली, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, बंगाली, उड़िया और उर्दू भाषा में भी गाने गाए हैं। कैलाश का 'कैलाशा' नाम से अपना बैंड भी है जो नेशनल और इंटरनेशनल शोज करता है। कैलाश ने कई सामाजिक कामों के लिए भी अपनी आवाज दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'स्वच्छ भारत मिशन' के लिए 'स्वच्छ भारत का इरादा कर लिया है हमने' गाना गाया है। इसके अलावा अन्ना हजारे के एंटी करप्शन मूवमेंट के लिए 'अंबर तक यही नाम गूंजेगा' गाना भी बनाया था।