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Hindi News Explainers जेडीयू में जिस भी नेता का बढ़ा कद, नीतीश कुमार ने उसके ही कतरे पर; इस बार ललन सिंह ने झेला प्रकोप

जेडीयू में जिस भी नेता का बढ़ा कद, नीतीश कुमार ने उसके ही कतरे पर; इस बार ललन सिंह ने झेला प्रकोप

JDU की बैठक के दौरान पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते वक्त ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के कहने पर ही मैंने यह जिम्मेदारी संभाली थी। लेकिन अब मुझे लोकसभा चुनाव लड़ना है। इसलिये मैं अब पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।

Lalan Singh, Nitish Kumar, JDU- India TV Hindi Image Source : PTI ललन सिंह और नीतीश कुमार

नई दिल्ली: क्या बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है? क्या नीतीश कुमार फिर से पलटी मारने वाले हैं? क्या नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन से नाराज चल रहे हैं? क्या जेडीयू का लालू यादव की आरजेडी में विलय होने वाला है? क्या जेडीयू में टूट होने वाली है? क्या नीतीश कुमार की पार्टी एक बार फिर से एनडीए में शामिल होगी? ऐसी ही ना जाने कितनी ही ख़बरें आपने पिछले कुछ हफ्तों में सुनी होंगी। लेकिन पिछले लगभग एक हफ्ते से खबरें आ रही थीं कि ललन सिंह की जदयू अध्यक्ष पद से विदाई की जाएगी। यह खबर शुक्रवार को सच साबित हुई और ललन सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

अगर पार्टी टूटती तो नीतीश को होता बड़ा नुकसान  

शुरुआत में इसे भी केवल अफवाह माना गया, लेकिन इतना तय था कि पार्टी की कढ़ाई के अंदर कुछ खिचड़ी जरुर पक रही है। इस खिचड़ी में मसाले और चावल कौन से पड़े हैं, इसकी जानकारी केवल और केवल नीतीश कुमार को ही थी। इसके पीछे भी बड़ी वजह यह थी कि अगर यह जानकारी किसी और नेता को होती तो पार्टी में टूट का खतरा बढ़ता और इससे नीतीश कुमार की नाक कटती। इससे पहले भी आरपीएस सिंह वाले मसले में भी नीतीश कुमार अपनी नाक कटने से पहले सावधानी बरत ली थी और हादसा होने से पहले ही सुरक्षा उपकरण पहन लिए थे। लेकिन अगर इस बार यह हादसा होता तो भले ही बाहरी रूप से पार्टी को नुकसान कम होता, लेकिन पार्टी आंतरिक रूप से टूट जाती। इससे सबसे बड़ा नुकसान नीतीश कुमार को ही उठाना पड़ता।

Image Source : PTIललन सिंह और नीतीश कुमार

नीतीश कुमार ने कतरे हैं ललन सिंह के पर 

अब जब ललन सिंह की कुर्सी चली गई है तो कहा जाने लगा है कि एक बार फिर से नीतीश कुमार ने फिर से एक नेता के पर कतरे हैं। बिहार की राजनीति को अंदर से मथने वाले अक्सर कहते हैं कि नीतीश कुमार की राजनीति का यही अंदाज है। उन्हें जब भी ऐसा लगता है कि कोई और नेता उनसे बड़ा हो रहा है। उनके कद को ढक रहा है तो वह कुछ ऐसा करते हैं, जिससे वह बिना कहे ही कह देते हैं कि बिहार और जदयू में केवल एक ही नाम- नीतीश कुमार-नीतीश कुमार। ललन सिंह वाले मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। नीतीश कुमार को लगा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह अब देशभर में उनसे बड़े नेता बनने लगे हैं तो उनका इस्तीफा लेकर उन्हें घर बैठा दिया। 

Image Source : PTIनीतीश कुमार

नीतीश का प्रकोप झेलने वाले ललन सिंह पहले नेता नहीं 

ललन सिंह ऐसे पहले नेता नहीं हैं, जिन्हें नीतीश कुमार ने घर बैठाया हो। इससे पहले भी कई बड़े-बड़े नेता रहे हैं, जिनकी चली हुई गाड़ी के नीतीश कुमार ने ब्रेक फेल कर दिए। इसमें आरपीएस सिंह, प्रशांत किशोर, शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, जॉर्ज फर्नांडिस और दिग्विजय सिंह जैसे नेता शामिल रहे हैं। जीतन राम मांझी की भी गाड़ी को नीतीश कुमार ने पटरी से उतारा था। इस सभी नेताओं में एक समानता थी कि यह सभी एक समय में नीतीश कुमार से अधिक लोकप्रिय और ख़बरों में रहने लगे थे। इसके बाद नीतीश कुमार सामने आए और इन्हें ओवरशैडो कर दिया।

Image Source : PTIJDU की बैठक

अब यही ललन सिंह के साथ हुआ है। आरपीएस सिंह को पार्टी से निष्काषित करने के बाद ललन सिंह को कमान संभाली थी। लेकिन अब नीतीश कुमार ने कमान अपने हाथों में ले ली। इससे पहले जीतन राम मांझी को भी नीतीश कुमार ने साल 2014 में खुद इस्तीफा देकर राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि जीतन राम मांझी उनके कंट्रोल से बाहर जा रहे हैं तो उनसे इस्तीफा देने को कहा। मांझी ने मना किया तो उन्हें पार्टी से ही बाहर निकाल दिया गया और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो गए। हालांकि ललन सिंह को उस हिसाब फिर भी सम्मानजनक विदाई मिली है। लेकिन आने वाले दिनों में क्या होता है, यह वक्त का गर्भ में छुपा है। लेकिन इतना तय है कि अब आपको हर रोज फिर से 'बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है' जैसी खबरें सुनने को मिला करेंगी।