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राज्यसभा चुनाव में जनता नहीं विधायक डालते हैं वोट, कैसे होती है वोटिंग, जानें पूरी प्रक्रिया

राज्यसभा चुनाव के लिए मंगलवार को वोट डाले जाएंगे। लोकसभा और राज्यसभा चुनाव में क्या अंतर होता है और राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की क्या प्रक्रिया है...जानते हैं पूरा गणित-

rajya sabha election - India TV Hindi कैसे होता है राज्यसभा चुनाव

राज्यसभा की 56 सीटों के लिए मंगलवार 27 फरवरी 2024 को देश के 15 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। राज्यसभा के लिए सबसे ज्यादा 10 सीटें यूपी में हैं जिसमें 7 सीटें भाजपा और 3 सीटें सपा के खाते में जानी तय मानी जा रही हैं। यूपी में मुकाबला रोमांचक होने की उममीद है क्योंकि समाजवादी पार्टी की एक सीट पर उलटफेर की पूरी संभावना है।  राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया ऐसी है कि वोटिंग से पहले ही किस पार्टी को कितनी सीटें मिल रही हैं ये पता चल जाता है। इसकी पहली वजह यह है कि राज्यसभा में गोपनीय मतदान नहीं होता और दूसरी यह कि यहां सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के जरिए चुने जाते हैं। 

अब आपके मन में सवाल उठता होगा कि ये कैसे तय किया जाता है और फिर वोटिंग की प्रक्रिया ऐसी क्यों होती है। तो सबसे पहले आपको राज्यसभा के बारे में बता दें कि राज्यसभा के सभापति भारत के उपराष्ट्रपति होते हैं और इस सदन के सदस्य छह साल के लिए चुने जाते हैं लेकिन इनमें से एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल प्रत्येक दो साल में पूरा हो जाता है। यानी कि प्रत्येक दो साल पर राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य बदल जाते हैं। यह लोकसभा के चुनाव से बिल्कुल अलग होता है। 

लोकसभा से अलग होता है राज्यसभा चुनाव

राज्‍यसभा सदस्‍यों का कार्यकाल छह साल तक का होता है, जबकि लोकसभा में सांसद का कार्यकाल पांच साल का होता है। लोकसभा चुनाव के इतर राज्यसभा में जाने वाले सांसदों का चुनाव जनता नहीं करती है, इन सांसदों का चुनाव जनता द्वारा चुने गए विधायक करते हैं। वर्तमान में, राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली और पुडुचेरी का प्रतिनिधित्व करती है। इस बार यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रेदश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में राज्‍यसभा चुनाव हो रहे हैं।

आखिर क्या होती है राज्यसभा

देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव के बाद संसद में एक और सदन की जरूरत महसूस की गई और 23 अगस्त, 1954 को राज्यसभा का गठन हुआ। राज्यसभा एक स्थाई सदन है, ये कभी भंग नहीं होती है। राज्यसभा में अधिकतम सीटों की संख्या 250 होती है और इसके 12 सदस्य राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं। ये सभी 12 सदस्य खेल, कला, संगीत जैसे क्षेत्रों से आते हैं और बाकी के 238 राज्यसभा सदस्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आते हैं।

कैसे होता है राज्यसभा का चुनाव

राज्यसभा चुनाव में विधायक यानी एमएलए वोटिंग करते हैं और राज्य सभा चुनाव की वोटिंग का फॉर्मूला भी काफी अलग होता है। किसी राज्य की राज्यसभा की खाली सीटों में एक जोड़कर उससे कुल विधानसभा सीटों को बांटा जाता है और फिर उसमें एक जोड़ दिया जाता है। 

राज्यसभा के लिए होने वाली वोटिंग में सभी विधायक मतदान करते हैं और उनका वोट एक बार ही गिना जाता है। इसलिए वो हर सीट के लिए वोट नहीं कर सकते हैं। ऐसे में विधायकों को चुनाव के दौरान प्राथमिकता के आधार पर वोट देना होता है। उन्हें कागज पर लिखकर बताना होता है कि उनकी पहली पसंद कौन है और दूसरी पसंद कौन, फिर पहली पसंद के वोट जिसे ज्यादा मिलेंगे, वही जीता हुआ माना जाएगा।

वोटों की गिनती का है मुश्किल फॉर्मूला

राज्यसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को एक तय संख्‍या में वोट हासिल करने की जरूरत होती है, जिसे कोटा कहा जाता है। इस कोटा की गणना भरी जाने वाली रिक्तियों की संख्या पर निर्भर करती है। अगर चुनाव एक पद को भरने के लिए हो रहे हैं, तो कोटा की गणना कुल वैध वोटों को भरी जाने वाली सीटों की संख्या से विभाजित करके, उसमें एक जोड़कर और भागफल में एक संख्या जोड़कर की जाएगी।

ऐसे समझिए वोटों का गणित

जैसे  उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर मंगलवार को चुनाव होने हैं। यूपी विधानसभा में 403 सदस्य हैं। तो सबसे पहले 403 को 100 से गुणा किया जाता है तो 40300 आता है। इसके बाद सीटों की संख्या (10) में एक जोड़ते हैं, जो 11 होती है। अब 40300 में 11 का भाग देते हैं, जो 3663 होती है। मतलब ये कि यूपी में राज्यसभा के प्रत्याशियों को जीतने के लिए 3700 के आसपास वोट चाहिए। यानी कि एक सीट के लिए प्रत्याशियों को कम से कम 37 विधायकों का समर्थन चाहिए तभी वो जीतेंगे।

ये हैं खास बातें 

राज्यसभा चुनाव में कोई गुप्त मतदान नहीं होता और न इसमें ईवीएम का ही प्रयोग होता है। इसमें एक कागज दिया जाता है जिसमें हर उम्मीदवार के नाम के आगे एक से चार तक का नंबर लिखा होता है।विधायकों को वरीयता के आधार पर उसपर निशान लगाना होता है। 

राज्यसभा सदस्य होने के लिए उम्मीदवारों को भारत का नागरिक होना चाहिए। उम्मीदवार 30 साल की उम्र पूरी कर चुका हो और वह किसी लाभ के पद पर न हो। वह पागल या दिवालिया ना हो और संसद विधि द्वारा निर्धारित अर्हताएं धारण करता हो।