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Hindi News भारत राजनीति माफी मांगे CM सरमा, ‘विपक्ष के पास कोई काम नहीं’ टिप्पणी पर असम कांग्रेस ने कहा

माफी मांगे CM सरमा, ‘विपक्ष के पास कोई काम नहीं’ टिप्पणी पर असम कांग्रेस ने कहा

कांग्रेस ने रविवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से उस कथित अलोकतांत्रिक टिप्पणी के लिए सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य में विपक्षी पार्टियों के पास कोई काम नहीं है और उनके विधायकों को सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा- India TV Hindi Image Source : PTI मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा

गुवाहाटी: कांग्रेस ने रविवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से उस कथित अलोकतांत्रिक टिप्पणी के लिए सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य में विपक्षी पार्टियों के पास कोई काम नहीं है और उनके विधायकों को सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए। असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने कहा कि कांग्रेस लगातार भाजपा के खिलाफ लड़ाई जारी रखे हुए है जो देश के ‘लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट’ करना चाहती है। 

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘मैं एक विधायक और असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाते इस टिप्पणी की कड़ी निंदा करता हूं। मुख्यमंत्री को ऐसी अलोकतांत्रिक टिप्पणी के लिए सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।’’ सैकिया ने कहा, ‘‘मौजूदा सरकार ऐसा माहौल बनाना चाहती है जहां कोई भी उसके गलत कार्यों पर उंगली नहीं उठाए। यह तभी हो सकता है जब सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ विपक्ष नहीं हो और हम, कांग्रेस ऐसा होने नहीं देगी।’’ 

गौरतलब है कि सरमा ने शनिवार को सभी विपक्षी विधायकों को भाजपा में शामिल होने का न्योता देते हुए दावा किया था कि पांच साल तक विपक्ष की कुर्सियों पर बैठने का कोई तुक नहीं है क्योंकि सरकार जाति, नस्ल और धर्म से परे लोगों के कल्याण के लिए काम करेगी। कांग्रेस के चार बार के विधायक रूपज्योति कुर्मी द्वारा सोमवार को भाजपा में शामिल होने की घोषणा करने के एक दिन बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा ने यह टिप्पणी की थी।

सैकिया ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा और संविधान एवं लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाई है और सालों से इसे मजबूत किया है, इसी वजह से गत कुछ सालों से भाजपा की सरकार है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अखिल भारतीय स्तर पर 36 प्रतिशत मत पाकर भाजपा के लिए 300 से अधिक सांसदों के साथ केंद्र में सरकार बनाना संभव हुआ है। यह भारतीय संविधान के प्रावधानों और लोकतांत्रिक प्रणाली से संभव हुआ है।’’  

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