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फिल्मी स्क्रिप्ट की तरह चला CM शिवराज सिंह का उपवास: कांग्रेस

मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान 6 किसानों की जान जाने के बाद भड़की आक्रोश की आग पर पानी डालने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा गांधीगीरी का सहारा लिए जाने पर विपक्षी दलों ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि शिवराज के इस ड्रामे की स्क्रिप्ट फ

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भोपाल: मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान 6 किसानों की जान जाने के बाद भड़की आक्रोश की आग पर पानी डालने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा गांधीगीरी का सहारा लिए जाने पर विपक्षी दलों ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि शिवराज के इस ड्रामे की स्क्रिप्ट फिल्म की तर्ज पर लिखी गई थी और उसी के मुताबिक उन्होंने उपवास खत्म किया।

कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि फिल्मी तर्ज पर लिखी गई स्क्रिप्ट के अनुसार मुख्यमंत्री की नौटंकी अंतत: समाप्त हो गई और शिवराज ने एक बार फिर किसानों के नाम पर झुनझुनों की बरसात कर दी, लेकिन इस बार किसान महज घोषणाओं से नहीं मानेंगे, हकीकत में अपना हक लेकर रहेंगे।

सिंह ने कहा, "मुख्यमंत्री ने लिखी हुई स्क्रिप्ट के अनुसार अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया और दूसरे ही दिन उसे खत्म कर दिया। जिस दिन उन्होंने उपवास करने का निर्णय लिया, उसी दिन तय हो गया था कि वे इसे किस दिन, कितने बजे खत्म करेंगे।"

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने मुख्यमंत्री के उपवास को किसानों के नाम पर प्रदेश की जनता के साथ एक और 'ठगी' बताया है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस को इस बात का पूर्वाभास था कि यह बहुप्रचारित उपवास चाइना मेड मोबाइल जैसा ही ध्वस्त होगा।"

यादव ने इसे 'मुख्यमंत्री का उपवास बनाम किसानों का उपहास' बताते हुए कहा कि इस उपवास के समापन की स्क्रिप्ट रविवार की सुबह भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर, थावरचंद गहलोत, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान, राज्यसभा सदस्य प्रभात झा व संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तैयार कर ली थी।

वहीं मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा कि मुख्यमंत्री के उपवास का 'एकांकी प्रहसन' जिस तरह शुरू हुआ था, उसी तरह खत्म हो गया। एक व्यक्ति की 'आत्मप्रचार लिप्सा' के लिए सरकारी खजाने के करोड़ों रुपये फूंक दिए गए।

उन्होंने आगे कहा कि तमाम राजनीतिक असहमतियों के बावजूद उम्मीद थी कि इस 'सियासी तमाशे' के अंत में ज्यादा नहीं तो कुछ तो राहत भरी घोषणाएं होंगी, लेकिन शिवराज ने किसान कर्जमाफी, फसल के वाजिब लाभकारी दाम, दुधारू पशुओं के व्यापार पर प्रतिबंध जैसे विषयों को तो छुआ ही नहीं। वह ऐसे मौके पर भी चालाकी दिखाने से बाज नहीं आए।

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