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Hindi News भारत राजनीति ….जब टीएमसी सांसद को याद आया बचपन का दर्द, सुनाई यौन उत्पीड़न की आपबीती

….जब टीएमसी सांसद को याद आया बचपन का दर्द, सुनाई यौन उत्पीड़न की आपबीती

यकीनन जो ब्रायन ने किया उसके लिए हिम्मत चाहिए और यही वजह थी कि जब महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी POCSO संशोधन विधेयक के प्रावधानों को बताने उठीं तो सबसे पहले सभी सांसदों के साथ मिलकर ब्रायन के साहस को सलाम किया।

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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने बुधवार को POCSO संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए यौन छेड़छाड़ संबंधित अपनी उन बुरी यादों को उच्च सदन के साथ साझा किया जो बचपन में बस में जाते समय उनके साथ घटी थी। देश की संसद में खड़े होकर जब टीएमसी सांसद अपने अतीत के पन्ने पलट रहे थे तो हर नज़र उन पर टिकी थी। कईयों के चेहरे पर हैरानी का भाव था क्योंकि बच्चों से दरिंदगी के ख़िलाफ़ कानून को सख्त बनाने की बहस में ममता बनर्जी की पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने अपनी ऐसी आपबीती देश के सामने रख दी थी कि सभी सांसद सकते में थे।

58 साल के हैं डेरेक ओ ब्रायन के साथ यौन उत्पीड़न का वाक्या 13 साल की उम्र में हुआ था। यानी 45 साल उन्होंने अपने दिल में इस बात को दबा कर रखा। कोलकाता की भीड़ भरी बस में बीते उन चंद मिनटों को ब्रायन आजतक नहीं भूल सके हैं और जब यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने वाले POCSO संशोधन कानून को सख्त करने पर बहस शुरू हुई तो बचपन की टीस ब्रायन ने राज्यसभा में बयां कर दी।

उन्होंने राज्यसभा में कहा, “13 साल की उम्र में कोलकाता में एक बस में जब मैं टेनिस प्रैक्टिस के बाद पैंट और टी-शर्ट में भीड़ भरी बस में लौट रहा था तो मुझे नहीं पता, वो कौन था लेकिन उस शॉर्ट पैंट और टीशर्ट में मेरा यौन उत्पीड़न किया गया। मैंने इसके बारे में नहीं बोला। कई साल बीत गए और फिर कई सालों तक चुप रहने के बाद मैंने अपने माता पिता को इस बारे में बताया। हमें लोगों तक पहुंचने के लिए इस मंच का उपयोग करने की आवश्यकता है।“

यकीनन जो ब्रायन ने किया उसके लिए हिम्मत चाहिए और यही वजह थी कि जब महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी POCSO संशोधन विधेयक के प्रावधानों को बताने उठीं तो सबसे पहले सभी सांसदों के साथ मिलकर ब्रायन के साहस को सलाम किया। बता दें कि राज्यसभा में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण संबंधी POCSO संशोधन विधेयक पास हो गया है।

कानून को सख्त बनाते हुए विधेयक में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में फांसी की सज़ा तक का प्रावधान किया गया है। 20 साल से आजीवन कारावास की सज़ा और rare of the rarest केस में मृत्युदंड का प्रावधान है। एफआईआर दर्ज होने के 2 महीने के अंदर जांच पूरी करने और एक साल के अंदर मुकदमा पूरा करने का प्रावधान है। खास बात ये कि राज्यसभा में सभी ने बिल का समर्थन किया और अब इसे लोकसभा भेजा जाएगा जहां पूरी उम्मीद है कि एक सुर में सभी दल इस पर मुहर लगाएंगे और बच्चों से यौन अपराध के ख़िलाफ़ कानून और सख्त हो जाएगा।

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