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झारखंड: मुख्यमंत्री सोरेन की सीट के उपचुनाव में बीजेपी की बिसात बिछाएंगे मरांडी

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दुमका विधानसभा सीट के उपचुनाव पर अब सभी की निगाहें टिकीं हैं।

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नई दिल्ली: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दुमका विधानसभा सीट के उपचुनाव पर अब सभी की निगाहें टिकीं हैं। बरहेट से भी चुनाव जीते हेमंत सोरेन द्वारा दुमका की सीट छोड़ देने के कारण इस सीट पर 6 महीने के भीतर चुनाव होना है। भारतीय जनता पार्टी में बाबूलाल मरांडी की वापसी के बाद सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए इस उपचुनाव की लड़ाई कठिन हो गई है। इसकी वजह यह है कि सोरेन परिवार के गृहक्षेत्र यानी दुमका में बाबूलाल मरांडी की मजबूत पकड़ मानी जाती है।

मरांडी पर बीजेपी को भरोसा
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि दुमका का उपचुनाव पार्टी बाबूलाल मरांडी की बिछाई बिसात पर ही लड़ेगी। विधानसभा चुनाव में रघुवर दास के नेतृत्व में झटका खाने वाली बीजेपी को अब बाबूलाल मरांडी के निर्देशन में आगे के चुनावों में सफलता की आस जगी है। मरांडी को इस उपचुनाव के मैनेजमेंट की कमान बीजेपी इसलिए भी देना चाहती है कि वही पार्टी में फिलहाल सबसे बड़े आदिवासी चेहरे हैं और सोरेन परिवार के गृहक्षेत्र यानी दुमका के सारे सियासी समीकरणों की उन्हें समझ है। 

शिबू सोरेन को मात दे चुके हैं मरांडी
बाबूलाल मरांडी ही वह नेता हैं जो हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन को 1998 के लोकसभा चुनाव में दुमका से हरा चुके हैं। बाद में 1999 के चुनाव में शिबू सोरेन की पत्नी को भी बाबूलाल मरांडी ने दुमका से हराया था। बीजेपी से 1991 और 1996 का चुनाव भी उन्होंने शिबू सोरेन के खिलाफ दुमका से लड़ा था मगर हार गए थे। दुमका से शिबू सोरेन को हराने के कारण बाबूलाल मरांडी को सबसे ज्यादा शोहरत मिली थी क्योंकि शिबू सोरेन झारखंड के सबसे बड़े आदिवासी चेहरे माने जाते रहे हैं।

JMM प्रत्याशी को लेकर अटकलें तेज
दुमका विधानसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से कौन प्रत्याशी होगा, इसको लेकर अटकलें लग रहीं हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से इस सीट से अपने छोटे भाई वसंत सोरेन या फिर पत्नी कल्पना को लड़ाने की चर्चा हैं। यह भी कहा जा रहा है कि 2019 का लोकसभा चुनाव हार जाने वाले पिता शिबू सोरेन भी इस सीट से ताल ठोक सकते हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव तक दुमका सीट बीजेपी के कब्जे में थी। 2015 में दुमका से बीजेपी की लुइस मरांडी जीतीं थीं, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में वह हेमंत सोरेन से वह 13 हजार से ज्यादा वोटों से हार गईं थीं। (IANS)

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