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Hindi News भारत राजनीति मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर पार्टी आलाकमान का फैसला स्वीकार करूंगा: ज्योतिरादित्य सिंधिया

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर पार्टी आलाकमान का फैसला स्वीकार करूंगा: ज्योतिरादित्य सिंधिया

कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी के नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर गुटबाजी के कयासों के बीच कहा कि अपना खून-पसीना बहा कर सूबे में कांग्रेस की सरकार बनवाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं की आन-बान-शान कायम रखना उनका फर्ज है। 

 Jyotiraditya Scindia- India TV Hindi Image Source : PTI Supporters take selfie with Congress General Secretary Jyotiraditya Scindia (File).

इंदौर। कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी के नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर गुटबाजी के कयासों के बीच रविवार को यहां कहा कि अपना खून-पसीना बहा कर सूबे में कांग्रेस की सरकार बनवाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं की आन-बान-शान कायम रखना उनका फर्ज है। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर दावेदारी के सवाल पर सिंधिया ने कहा,‘‘पार्टी आलाकमान जो भी निर्णय लेगा, वह उन्हें स्वीकार होगा।’’

कांग्रेस कार्यकर्ताओं से की मुलाकात

कांग्रेस महासचिव सिंधिया ने रविवार को शहर के एक मैरिज गार्डन में करीब दो घंटे तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सिलसिलेवार मुलाकात की। इसके लिये बनाए गए विशाल पंडाल में सिंधिया की तस्वीरों के अलावा, उनके दिवंगत पिता माधवराव सिंधिया और सूबे के मुख्यमंत्री कमलनाथ के पोस्टर प्रमुखता से लगाये गये थे।

क्या सिंधिया ने किया शक्ति प्रदर्शन?

राजनीतिक विश्लेषक बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं से सिंधिया की इस मुलाकात को उनके शक्ति प्रदर्शन के तौर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि सिंधिया (48) प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। कार्यक्रम के बाद सिंधिया ने संवाददाताओं से कहा, "मैंने करीब 3,000 कांग्रेस कार्यकर्ताओं से आज सीधी मुलाकात की। अपना खून-पसीना बहाकर सूबे में कांग्रेस की सरकार बनवाने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं की आन-बान-शान कायम रखना मेरा फर्ज है।"

सिंधिया ने कहा, "केवल मध्यप्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में कांग्रेस संगठन को फिर से जीवित करना अति महत्वपूर्ण है। इस काम के लिये सभी कांग्रेस नेताओं ने संकल्प लिया है।" प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मंच पर सिंधिया से मुलाकात के लिए कार्यकर्ताओं में धक्का-मुक्की भी हुई।

उल्लेखनीय है कि कमलनाथ को राज्य विधानसभा चुनाव से करीब सात महीने पहले अप्रैल 2018 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था। पिछले साल दिसंबर में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। बाद में एक बयान में कहा था कि मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद उन्होंने पार्टी आलाकमान के समक्ष प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की थी।

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