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दिल्ली: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को मिली अस्पताल से छुट्टी

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को मंगलवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल से छुट्टी मिल गई...

Manish Sisodia and Satyendar Jain discharged from hospital | Twitter- India TV Hindi Manish Sisodia and Satyendar Jain discharged from hospital | Twitter

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को मंगलवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल से छुट्टी मिल गई। ये दोनों मंत्री उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ धरने और अनशन पर बैठे थे। अनशन के दौरान सेहत खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। मूत्र में कीटोन का स्तर तेजी से बढ़ने और शुगर का लेवल घटने के बाद सिसोदिया को सोमवार दोपहर करीब 3 बजे LNJP अस्पताल ले जाया गया जबकि जैन की सेहत खराब होने के बाद उन्हें रविवार रात को इसी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

LNJP अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट जेसी पासे ने बताया, ‘दोनों ही मंत्रियों को सुबह करीब 10 बजे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उनके स्वास्थ्य मानक जैसे कि मूत्र में कीटोन का स्तर, अब सामान्य हैं।’ मंगलवार सुबह सिसोदिया ने ट्वीट किया था कि उनकी सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है और वह आज से कामकाज शुरू करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘सुप्रभात! डॉक्टरों की देखरेख और आपके आशीर्वाद से मेरी सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है। कल मेरा कीटोन स्तर 7.4 था और ब्लड प्रेशर 184/100 तक पहुंच गया था। इससे किडनी पर असर पड़ सकता था लेकिन अब सबकुछ नियंत्रण में है। यदि डॉक्टर इजाजत देंगे तो मैं आज से ही काम पर लौट आऊंगा।’


शनिवार को डॉक्टरों के दल ने सिसोदिया और जैन की जांच की। जैन पिछले मंगलवार से उपराज्यपाल कार्यालय में आमरण अनशन पर थे जबकि सिसोदिया ने अनशन बुधवार से शुरू किया था। केजरीवाल अपने सहयोगियों के साथ 13 जून से उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय में धरने पर बैठे हैं। वह बैजल से IAS अधिकारियों को कथित हड़ताल खत्म करने का निर्देश देने और राशन को घर-घर पहुंचाने की योजना को मंजूरी देने की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि IAS अधिकारियों की असोसिएशन ने कहा था कि उनका कोई भी अफसर हड़ताल पर नहीं है और उन्हें राजनीतिक फायदे के लिए निशाना बनाया जा रहा है।

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