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राजस्थान: छात्र संघ चुनावों के रिजल्ट ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को चौंकाया

राजस्थान में स्थानीय निकाय चुनाव से कुछ महीने पहले छात्र संघ चुनावों में निर्दलियों की जीत ने राजनीतिक दलों विशेषकर सत्तारूढ़ कांग्रेस को चौंका दिया है।

Rajasthan University Students Union election results | PTI File- India TV Hindi Rajasthan University Students Union election results | PTI File

जयपुर: राजस्थान में स्थानीय निकाय चुनाव से कुछ महीने पहले छात्र संघ चुनावों में निर्दलियों की जीत ने राजनीतिक दलों विशेषकर सत्तारूढ़ कांग्रेस को चौंका दिया है। इसी सप्ताह हुए छात्र संघ चुनावों में राज्य के सबसे बड़े राजस्थान विश्वविद्यालय सहित 4 यूनिवर्सिटी में अध्यक्ष पद पर निर्दलीयों ने बाजी मारी है। भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा छात्र संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) 9 में से 5 विश्वविद्यालयों में अध्यक्ष पद जीत कर संतोष जता रहा है तो कांग्रेस से जुड़े छात्र संघ, NSUI ने केवल महाविद्यालयी स्तर के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है। 

राजस्थान में 50 से ज्यादा स्थानीय निकायों में नवंबर में चुनाव होने हैं। उसके बाद ग्राम पंचायतों के चुनाव होने हैं जिन्हें काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार विश्वविद्यालयों के चुनाव के परिणाम भले ही सीधे तौर पर स्थानीय निकाय चुनावों पर असर नहीं डालें, लेकिन वे राजनीतिक दलों के स्थानीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के मनोबल को प्रभावित कर सकते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जब छात्र संघ चुनावों में NSUI की हार और निकाय चुनावों पर इसके असर के बारे में पूछा तो उन्होंने यह कहते हुए टाल दिया, ‘कई जगह तो ABVP तीसरे नंबर पर आई है। खुद को पूरे भारत में तीसमारखां बताने वाले तीसरे नंबर पर आ रहे हैं। हम तो पिछले साल के (लोकसभा) चुनाव परिणाम के बाद उठने की कोशिश कर रहे हैं।’ 

NSUI के प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया को भी नहीं लगता कि छात्र संघ चुनाव के परिणाम का असर निकाय एवं पंचायत चुनावों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘मेरे हिसाब से दोनों चुनाव अलग अलग मुद्दों और माहौल में लड़े जाते हैं। छात्र संघ चुनाव बिलकुल अलग परिवेश तथा मुद्दों पर होते हैं। सीमित दायरा रहता है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि उनका कोई असर आगे निकाय या किसी भी चुनाव पर होगा।’ वहीं बीजेपी छात्र संघ चुनावों के परिणाम से उत्साहित दिख रही है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा कि छात्रसंघ चुनावों के परिणाम राज्य की ‘युवा विरोधी कांग्रेस सरकार के लिए चेतावनी है।’ भारद्वाज के अनुसार 9 में से एक भी यूनिवर्सिटी में अध्यक्ष पद पर NSUI जीत नहीं पाई जबकि ABVP उदयपुर, अजमेर और भरतपुर सहित कई विश्वविद्यालयों में जीती है। 

NSUI के पूनिया के अनुसार इस लिहाज से देखा जाए तो महाविद्यालय स्तर के चुनाव में एनएसयूआई का प्रदर्शन कहीं बेहतर रहा है। राज्य में दस बड़े विश्वविद्यालय, 200 से ज्यादा सरकारी और एक हजार निजी कॉलेज हैं। इनमें कुल मिलाकर दस लाख से अधिक छात्र मतदाता हैं। 28 अगस्त को आए परिणाम में अगर राज्य के 9 प्रमुख विश्वविद्यालयों की बात की जाए तो 4 में निर्दलीय जीते जबकि 5 पर एबीवीपी ने कब्जा किया। एनएसयूआई ने राजकीय कॉलेज में अच्छा प्रदर्शन किया। सबसे बड़ी बात है कि राज्य के 2 सबसे बड़े और महत्वपूर्ण विश्वविद्यालयों राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर और जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में निर्दलीय प्रत्याशी जीत गए।

राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर पूजा वर्मा जीतीं और लगातार चौथी बार यहां निर्दलीय प्रत्याशी जीता है। इसी प्रकार जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष पद पर रविन्द्र सिंह भाटी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते हैं। राजस्थान में 52 स्थानीय निकायों में नवंबर में चुनाव होने हैं। स्थानीय निकाय विभाग ने वार्ड सीमांकन और वार्ड आरक्षण तय कर दिया है जबकि महापौर, सभापित, अध्यक्ष तथा पार्षद पद के आरक्षण की लॉटरी अब निकलनी है। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने हाल ही में एक कार्यक्रम में संकेत दिया था कि यह लॉटरी सितंबर माह में निकलेगी।

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