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Hindi News भारत राजनीति ममता बनर्जी पर 'कटमनी' का संकट, रेट कार्ड आया सामने

ममता बनर्जी पर 'कटमनी' का संकट, रेट कार्ड आया सामने

"जब मौत होती है और शव श्मशान जाता है, अंतिम संस्कार होता है वहां पर भी कटमनी मांगते हैं। यानि जन्म से लेकर मृत्यु तक कटमनी ली जाती है। मु्ख्यमंत्री खुद ही ये बात मान चुकी हैं कि कटमनी लिया जा रहा है इसीलिए कटमनी को वापस करने की उन्होंने बात कही।"

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नई दिल्ली: ममता बनर्जी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कटमनी का मामला पहले तो पश्चिम बंगाल के अंदर ही टीएमसी सुप्रीमों के लिए परेशानी की वजह बना हुआ था अब ये कोलकाता से दिल्ली पहुंच चुका है। संसद से सड़क तक संग्राम है और इसी संग्राम के बीच आई है वो रेट लिस्ट जिसके आधार पर ममता राज में काम के बदले कटमनी ली जाती है। इस कटमनी को लेकर वहां के लोग अपना सब्र खो चुके हैं।

बर्धमान में सब्र खो चुके लोगों ने कटमनी लेने के एक आरोपी को पीट-पीट कर लहूलुहान कर दिया। पिछले 24 घंटे में कटमनी के विरोध में पूरे बंगाल में हंगामा मचा हुआ है। वहीं लोकसभा में कटमनी को लेकर बर्धमान से सांसद लॉकेट बनर्जी ने मोर्चा खोल रखा है। लॉकेट बनर्जी ने जैसे ही ये मुद्दा संसद में टीएमसी के सांसद भड़क गए और कटमनी को कार्यवाही से हटाने की मांग करने लगे लेकिन दिक्कत ये है कि टीएमसी के पास इस मुद्दे पर अपने बचाव में लिए कोई ठोस जवाब नहीं है।

बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा, “ये कटमनी क्या होता है? बच्चा जब पैदा होता है, मां के गर्भ में जब रहता है, जब मां अस्पताल जाती है और जब बेड के लिए अस्पताल वाले पैसे मांगते हैं, वहां से कटमनी शुरू होती है और जब मौत होती है और शव श्मशान जाता है, अंतिम संस्कार होता है वहां पर भी कटमनी मांगते हैं। यानि जन्म से लेकर मृत्यु तक कटमनी ली जाती है। मु्ख्यमंत्री खुद ही ये बात मान चुकी हैं कि कटमनी लिया जा रहा है इसीलिए कटमनी को वापस करने की उन्होंने बात कही। कटमनी से नीचे से लेकर ऊपर यहां तक कि मंत्री भी जुड़े हुए हैं।“

कहा जा रहा है कि बंगाल की गरीब जनता की जेब काटकर निकाली गई कटमनी टीएमसी नेताओं के लिए 'फटाफट मनी' बनी हुई है और इस फटाफट मनी का पूरा नेक्सस है। एक चेन है जिसमें सबका कट फिक्स है। बंगाल में सरकारी फायदे चाहिए तो कट रेट फिक्स है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत घर चाहिए तो 25 हजार तक कटमनी का रेट है। सरकारी टॉयलेट में अगर 18 हजार रुपए चाहिए तो 3600 पहले ही कटमनी में कट जाएंगे। मनरेगा जिसके तहत 100 दिन की मजदूरी देने का नियम है उसके लिए मजदूरों से भी 56 रुपए कट में ले लिए जाते थे। वृद्धा और विधवा पेंशन वालों से भी 200 रुपए तक वसूलने की बात सामने आ रही।

कटमनी के विरोध में बांकुरा में स्थानीय लोगों ने पुलिस थाने के सामने प्रदर्शन किया। इसमें सबसे ज्यादा गरीब-आदिवासी महिलाए थीं जो अपना कटमनी लौटाने की मांग कर रही थीं। हाथ में तख्ती लिए इन महिलाओं का आरोप है कि इन लोगों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान देने के नाम पर 5 हजार से 9 हजार तक कटमनी रख ली गई। रतनपुर ग्राम पंयातल में कुल 28 परिवारों के घर बनें हैं। सभी 28 से कटमनी वसूली गई। रतनपुर गांव के एक स्थानीय निवासी ने कहा, ”प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिलने थे जिसके बदले मंगल पाल ने किसी से 5 हजार, किसी से 3 हजार तो किसी से 10 हजार रुपये जबरदस्ती लिए। हमसे किश्त के नाम पर जबरदस्ती पैसे लिए इसीलिए हम थाने पर आए हैं कि हमारा पैसा हमें वापस मिले।“

वहीं सिलीगुड़ी में लोगों का गुस्से की आग तब भड़की जब रथ पूजा के परमिसन में भी कट वसूलने का आरोप सामने आया। घोघामली मुहल्ले के काउंसलर पर आरोप है कि उसने मेले की इजाजत इसलिए नहीं दी क्योंकि कटमनी नहीं जमा कराई गई। पिछले छह साल से काउंसलर ये कटमनी वसूल रहा था। बाद में हंगामा होने के बाद उसे रथ पूजा कमेटी से हटा दिया गया। हालांकि काउंसलर का कहना है कि उसने कोई कटमनी की मांग नहीं की।

नादिया में तो हद ही हो गई। यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए घर दिलवाने के नाम पर टीएमसी काउंसलर के ऊपर 27 हजार कटमनी वसूलने का आरोप है। काउंसलर सोमा गांगुली के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई है। जब मामला सामने आया तो पता चला कि 8 हजार से लेकर 27 हजार तक कटमनी की रेट फिक्स थी। हुगली में तो स्कूल स्टाफ पर ही कटमनी लेने का आरोप है। दानकुनी में मौजूद श्री रामकृष्ण विद्याश्रण स्कूल के स्टाफ सुशोभन दास पर कन्या श्री परियोजना के लिए छात्राओं से कट मनी ली गई। कुल मिलाकर पूरे बंगाल में लोग अपना पैसा मांग रहे हैं। नेता जगह ढूंढ रहे हैं और पैसा मांगने वाली जनता नेता को ढूंढ रही है।

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