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Hindi News एजुकेशन न्‍यूज एनसीईआरटी: प्री-स्कूल में बच्चों की लिखित या मौखिक परीक्षा नहीं होनी चाहिए

एनसीईआरटी: प्री-स्कूल में बच्चों की लिखित या मौखिक परीक्षा नहीं होनी चाहिए

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कहा है कि प्री-स्कूल में किसी भी बच्चे की कोई लिखित या मौखिक परीक्षा नहीं होनी चाहिए।

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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कहा है कि प्री-स्कूल में किसी भी बच्चे की कोई लिखित या मौखिक परीक्षा नहीं होनी चाहिए। एनसीईआरटी ने इस प्रकार की परीक्षाओं को हानिकारक एवं अवांछनीय प्रक्रिया करार देते हुए कहा कि इससे अभिभावकों में अपने बच्चे के लिए जो आकांक्षाएं पैदा होती है, वे सही नहीं होती। परिषद ने कहा कि प्री-स्कूल के छात्रों के आकलन का मकसद उन पर 'पास' या 'फेल' का ठप्पा लगाना नहीं है।

एनसीईआरटी के एक अधिकारी ने कहा, 'किसी भी हाल में बच्चों की मौखिक या लिखित परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए। इस चरण पर आकलन का मकसद बच्चे पर 'पास' या 'फेल' का ठप्पा लगाना नहीं है।'

अधिकारी ने कहा, 'इस समय हमारे देश प्री-स्कूल कार्यक्रम बच्चों को बोझिल दिनचर्या में बांध देते हैं। ऐसे भी कार्यक्रम है जहां विशेषकर अंग्रेजी को ध्यान में रखते हुए बच्चों को संरचित औपचारिक शिक्षा दी जाती है, उन्हें परीक्षा देने या गृहकार्य करने को कहा जाता है और उनसे खेलने का अधिकार छीन लिया जाता है। इस अवांछनीय एवं हानिकारक प्रक्रिया से अभिभावकों में अपने बच्चों को लेकर जो आकांक्षाएं पैदा होती हैं, वे सही नहीं हैं।'

एनसीईआरटी ने 'प्री-स्कूल शिक्षा के लिए दिशानिर्देशों' के तहत इस बात की सूची तैयार की है कि प्री-स्कूल में बच्चों का आकलन कैसे किया जाना चाहिए। इन दिशानिर्देशों में कहा गया है, 'हर बच्चे की प्रगति का लगातार आकलन किया जाना चाहिए। इसके लिए चेकलिस्ट, पोर्टफोलियो और अन्य बच्चों के साथ संवाद जैसी तकनीकों एवं उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए।'

दिशानिर्देशों में कहा गया है, 'अध्यापक को बच्चों पर नजर रखते हुए उनसे जुड़े संक्षिप्त लिखित नोट बनाने चाहिए कि बच्चे ने कब और कैसे समय बिताया। उनके सामाजिक संबंध, भाषा के प्रयोग, संवाद के तरीके, स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी आदतों की सूचना इसमें होनी चाहिए।'

इसमें कहा गया है, 'हर बच्चे का फोल्डर उसे और उसके अभिभावकों को दिखाया जाना चाहिए और उसके अगली कक्षा में जाने तक यह स्कूल में रहना चाहिए। सभी अभिभावकों को साल में कम से कम दो बार अपने बच्चों की लिखित एवं मौखिक प्रगति रिपोर्ट लेनी चाहिए।' इन दिशानिर्देशों में प्रीस्कूल अध्यापकों के वेतन, उनकी योग्यताओं और ढांचागत सुविधाओं का पैमाना भी निर्धारित किया गया है।

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