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दिल्ली सरकार ने छात्रों से पूछा बोर्ड परीक्षा में फेल होने का कारण

सरकार ने स्कूलों में शत-प्रतिशत रिजल्ट लाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बारहवीं के अनुतीर्ण बच्चों के साथ गुरुवार को चर्चा की।

<p>Delhi government asks students the reason for failing...- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Delhi government asks students the reason for failing board examination

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने स्कूलों में शत-प्रतिशत रिजल्ट लाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बारहवीं के अनुतीर्ण बच्चों के साथ गुरुवार को चर्चा की। दिल्ली सचिवालय में हुई इस बैठक में बच्चों के साथ अभिभावको ने भी सुझाव दिए। बच्चों से बातचीत करते हुए सिसोदिया ने कहा, "दिल्ली के सरकारी स्कूलों के इस बार दो प्रतिशत बच्चे पास नहीं हो पाए हैं। अगर हम इसे सिर्फ आंकड़ों के तौर पर देखें तो यह बहुत कम है। हम 98 फीसदी रिजल्ट से संतुष्ट हो सकते हैं। लेकिन हमारे लिए ये हमारे बच्चे हैं, कोई आंकड़ा नहीं। हमारे लिए हर बच्चा महत्वपूर्ण है। इसीलिए मैं उन बच्चों से मिल रहा हूं जो किसी कारणवश इस वर्ष उत्तीर्ण नहीं हो पाए।"

उपमुख्यमंत्री ने कहा, "दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चों ने बारहवीं में 98 फीसदी का ऐतिहासिक रिजल्ट दिया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ कल मुलाकात में बच्चों के संघर्ष की कई दिलचस्प कहानियां भी सामने आयीं। रोहिणी की चारू यादव की कहानी बड़ी प्रेरणादायी थी। उसने ग्यारहवीं में पास नहीं हाने के कारण पढाई बीच में ही छोड़ दी थी। लेकिन शिक्षकों ने हौसला बढ़ाया तो इस साल वह आर्ट्स में टॉपर हो गई।"

दिल्ली सरकार ने छात्रों को को अपने आसपास के ऐसे बीस लोगों की सूची बनाने का सुझाव दिया, जो व्यापार, नौकरी इत्यादि में सफल हों। ऐसे लोगों को अपने जीवन में किन संघर्षों से गुजरना पड़ा, यह जानने की सलाह दी। इस दौरान छात्रों ने अपनी बात रखी। छात्रों से उपमुख्यमंत्री ने पूछा कि आपकी क्लास में टीचर आते थे या नहीं, स्कूल में कोई कमी रह गई हो तो बताओ। ज्यादातर स्टूडेंट्स ने कहा कि स्कूल और शिक्षकों में कोई कमी नहीं रही। स्टूडेंट्स ने मुख्यत अपनी किन्हीं पारिवारिक वजहों से पूरी तैयारी नहीं कर पाने की बात कही। कई स्टूडेंट्स ऐसे भी थे, जिनके सिंगल पेरेंट्स होने के कारण आर्थिक तथा अन्य परेशानी थी।

सिसोदिया ने इन विषयों पर गंभीरता से विचार करते हुए समुचित हल ढूंढ़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सिंगल पैरेंट के कारण जिन बच्चों की पढ़ाई में बाधा आती हो, उनकी पहचान करके उनके लिए कोई विशेष प्रयास करने पर भी विचार किया जाएगा। एक स्टूडेंट ने बताया कि उसने पेरेंट्स के प्रेशर में कॉमर्स लिया, जबकि वह आर्ट्स लेना चाहती थी। इसलिए अच्छा नहीं कर पायी। सिसोदिया ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि हम इस बात पर जोर देंगे कि दसवीं के बाद बच्चों के साथ पेरेंट्स की भी काउंसिलिंग हो।

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