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Hindi News एजुकेशन न्‍यूज Covid- 19: माफी या रोक? स्कूल फीस पर छूट की घोषणा के बारे में अभिभावक भ्रम में

Covid- 19: माफी या रोक? स्कूल फीस पर छूट की घोषणा के बारे में अभिभावक भ्रम में

देश में कोरोना वायरस लॉकडाउन की अवधि के दौरान स्कूल की फीस में रियायत की कई राज्य सरकारों की घोषणा पर छात्रों के अभिभावक असमंजस में हैं कि फीस अदा करें या न करें, यह छूट है या रोक।

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नई दिल्ली।  देश में कोरोना वायरस लॉकडाउन की अवधि के दौरान स्कूल की फीस में रियायत की कई राज्य सरकारों की घोषणा पर छात्रों के अभिभावक असमंजस में हैं कि फीस अदा करें या न करें, यह छूट है या रोक। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों ने घोषणा की है कि स्कूलों द्वारा बंद के दौरान अभिभावकों पर शुल्क अदा करने के लिये दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। अभिभावकों के बीच यह स्पष्टता नहीं है कि क्या इस अवधि के लिये उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा या बाद में उन्हें यह शुल्क अदा करना होगा।

विभिन्न स्कूलों के प्राधिकारियों के मुताबिक, कुछ अभिभावकों ने यह मान लिया है कि इस अवधि के दौरान कोई शुल्क नहीं लगेगा और शुल्क माफी को लेकर उन्हें बहुत से लोगों के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। गुड़गांव के रहने वाले संदीप मखीजा ने पीटीआई-भाषा को बताया, “कोई स्पष्टता नहीं है। स्कूल खाने का खर्च, परिवहन का खर्च समेत कई तरह के शुल्क वसूल रहे हैं। कोई नहीं जानता कि क्या शुल्क माफ किया गया है और क्या देना है। जब हमनें स्कूल से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह सिर्फ समय में मिली छूट है रकम में नहीं।”

राजस्थान की प्रीति वशिष्ठ की भी ऐसी ही चिंता हैं। उन्होंने कहा, “सरकारी परिपत्र कहता है कि स्कूलों को इस अवधि के दौरान कोई अग्रिम शुल्क नहीं लेना चाहिए लेकिन इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि बाद में फीस देनी होगी या लॉकडाउन की अवधि की फीस नहीं लगेगी।” रजनीश कुमार के दो बच्चे नोएडा के एक स्कूल में पढ़ते हैं, उन्होंने कहा, “अगर फीस को किसी भी तरह देना ही है तो मैं उसे अभी अपने बजट में किसी तरह समायोजित करने की कोशिश करूंगा न कि बाद में बोझ का सामना करना चाहूंगा।

घोषणा के साथ तो यह एक राहत की तरह लग रहा था लेकिन पता नहीं वास्तव में यह है भी कि नहीं। निर्देश स्पष्ट होते तो मददगार रहते।” गुड़गांव के एक प्रमुख निजी विद्यालय के प्रतिनिधि के मुताबिक, अभिभावक उन्हें फोन कर पूछ रहे हैं कि जब सरकारी आदेश है तो फीस का स्टेटमेंट क्यों जारी किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम सभी अभिभावकों को बता रहे हैं कि फीस माफ नहीं की गई है और सिर्फ समयसीमा बढ़ाई गई है। शिक्षक पूरे समय काम कर रहे हैं, नियमित रूप से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं, कर्मचारियों को भी वेतन दिया जाना है।”

गुड़वांग के ही एक अन्य स्कूल की प्रवक्ता ने कहा, “हम अभिभावकों को अभी फीस अदा करने के लिये बाध्य नहीं कर रहे हैं, समयसीमा पहले ही बढ़ा दी गई है और अगर कोई सही मामला होगा तो उसका आकलन उसी मुताबिक बाद में भी किया जा सकता है लेकिन हम अभिभावकों को सलाह देर हैं कि जो भी अभी फीस दे सकता है उसे दे देनी चाहिए। फीस माफ नहीं की जा सकती। अभिभावक फोन कर सवाल पूछ रहे हैं कि खाने का शुल्क क्यों लिया जा रहा है? हमारी पूर्णकालिक रसोई है और उसे देखने वाला दल भी।

तो क्या हम इस अवधि के दौरान उन्हें भुगतान नहीं करेंगे क्योंकि कोई खाना नहीं पक रहा है?” दोनों ही विद्यालयों ने अपनी पहचान नहीं जाहिर करने की इच्छा व्यक्त की है। नोएडा के कोठारी इंटरनेशनल स्कूल ने अप्रैल और मई के महीने के लिये डे-बोर्डिंग और परिवहन शुल्क माफ कर दिया है। विद्यालय ने अभिभावकों को एक पत्र लिखकर कहा है, “विद्यालय सफाई कर्मियों, सुरक्षा कर्मियों, सहायकों, टैंक की सफाई करने वालों, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, बसों, नेटवर्किंग, वाई-फाई, सीसीटीवी, उपकरणों के उन्नयन, भवन मरम्मत, खेल उपकरणों आदि के लिये काम मेंलगे लोगों के वेतन भुगतान की अपनी प्रतिबद्धता और जिम्मेदारियों को पूरा कर रहा है।” उसने कहा, “हम अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को जहां पूरा कर रहे हैं वहीं कोविड-19 महामारी की वजह से हम अभिभावकों की मौजूदा परिस्थितियों को भी पूरी तरह समझते हैं…।

हमनें परिवहन और डे-बोर्डिंग शुल्क को माफ कर दिया है।” पंजाब सरकार ने हालांकि गुरुवार को विद्यालयों को निर्देश दिया कि वे कर्मचारियों का पूरा वेतन दें और अभिभावकों को कितानों, यूनीफॉर्म या परिवहन शुल्क के नाम पर बाध्य न करें और स्पष्ट किया कि कोई भी विद्यालय लॉकडाउन की अवधि के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के नाम पर फीस की मांग नहीं कर सकता। कई अभिभावकों ने जहां दिल्ली सरकार से भी शुल्क माफी से इस अवधि के दौरान शुल्क माफी का अनुरोध किया है लेकिन अबतक कोई फैसला इस बारे में नहीं लिया गया है।

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले हफ्ते अभिभावकों के साथ ऑनलाइन चर्चा में कहा था, “हमें अभिभावकों से संदेश मिल रहे हैं कि बंद की अवधि के दौरान शुल्क माफ किया जाना चाहिए, लेकिन स्कूल कह रहेहैं कि वे वेतन कैसे देंगे, यह भी सही बात है। जहां तक फीस की बात है सरकार अभिभावकों के साथ सक्रिय रूप से काम करती रही है लेकिन अभी यह मुश्किल स्थिति है। किसी के पास स्थिति को लेकर कोई संतुलित सुझाव हो, तो हम उसे हमसे साझा करने का अनुरोध करते हैं।” कोविड-19 के कारण देश भर में 14 अप्रैल तक बंद है। स्कूल, कॉलेज हालांकि बंद की घोषणा से एक हफ्ते पहले ही बंदकर दिये गए थे।

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