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Hindi News महाराष्ट्र भूकंप से कांप उठा महाराष्ट्र, दो बार महसूस किए गए झटके, रिक्टर स्केल में मापी गई इतनी तीव्रता

भूकंप से कांप उठा महाराष्ट्र, दो बार महसूस किए गए झटके, रिक्टर स्केल में मापी गई इतनी तीव्रता

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार पालघर में रिक्टर पैमाने पर 3.5 और 3.3 की तीव्रता वाले दो भूकंप के झटके क्रमशः शाम 5:15 बजे और 5:28 बजे दर्ज किए गए।

Maharashtra, Earthquake- India TV Hindi Image Source : INDIA TV भूकंप से कांप उठा महाराष्ट्र

पालघर: महाराष्ट्र के पालघर में भूकंप से धरती कांप उठी। यहां चाँद मिनटों में दो बार भूकंप आया, जिससे पूरे इलाके में हड़बड़ी मच गई। हालांकि भूकंप से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार पालघर में रिक्टर पैमाने पर 3.5 और 3.3 की तीव्रता वाले दो भूकंप के झटके क्रमशः शाम 5:15 बजे और 5:28 बजे दर्ज किए गए।

प्लेट्स के टकराने से आता है भूकंप

यह धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, जिन्‍हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्‍टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें टैक्‍टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैक्‍टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती रहती हैं। ये प्‍लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।

भूंकप का केंद्र और तीव्रता

भूकंप का केंद्र वह जगह होती है, जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा महसूस होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती है, इसका प्रभाव कम होता जाता है। इसकी तीव्रता का मापक रिक्टर स्केल होता है। रिक्‍टर स्‍केल पर यदि 7 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आता है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर की तरफ होती है तो प्रभाव क्षेत्र कम होता है। भूकंप की जितनी गहराई में आता है, सतह पर उसकी तीव्रता भी उतनी ही कम महसूस की जाती है।