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महाराष्ट्र MLC चुनाव: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दाखिल किया नामांकन

महाराष्ट्र विधान परिषद की 9 सीटों पर 21 मई को होने वाले राज्य विधान परिषद (MLC) के चुनावों के लिए सोमवार (11 मई) को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपना नामांकन दाखिल किया।

Maharashtra CM Uddhav Thackeray files nomination for Maharashtra Legislative Council Elections- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Maharashtra CM Uddhav Thackeray files nomination for Maharashtra Legislative Council Elections

महाराष्ट्र विधान परिषद की 9 सीटों पर 21 मई को होने वाले राज्य विधान परिषद (MLC) के चुनावों के लिए सोमवार (11 मई) को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के समय उद्धव ठाकरे के साथ आदित्य ठाकरे भी मौजूद रहे। बता दें कि, महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस ने अचानक यूटर्न लेते हुए अपने उम्मीदवार का नाम वापस लेने का ऐलान किया, जिससे सियासी माहौल गर्मा गया है। कांग्रेस के इस फैसले से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का निर्विरेोध जीतना लगभग तय माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बातचीत के बाद कांग्रेस ने अपने दूसरे उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया है।  

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के लिए भाजपा की ओर से बीते शुक्रवार को चार प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया, इनमें रणजीत सिंह मोहिते पाटिल, प्रवीण दटके, गोपीचंद पडालकर, डॉ. अजित गोपछडे शामिल हैं। नए समीकरण के मुताबिक, मौजूदा संख्या बल के हिसाब से इन नौ सीटों में से शिवसेना की दो, कांग्रेस दो, एनसीपी दो और बीजेपी के हिस्से में तीन सीटें आ सकती हैं। ऐसे में उद्धव को राहत जरूर मिली है लेकिन चैन के लिए उन्हें चुने जाने के दिन तक इंतजार करना होगा। 

कैसी होती है चुनाव की प्रक्रिया

विधान परिषद के सदस्यों को को जनता नहीं चुनती है। इस चार प्रकार की संस्थाओं का अहम रोल होता है, यानी चार प्रकार से विधान परिषद का सदस्य चुना जाता है। 

राज्य के विधायक चुनते हैं। वह केवले एक तिहाई सदस्यों को चुन सकते हैं। आपको बता दें, नियम ये है कि विधान परिषद के सदस्यों की संख्या, विधान सभा के सदस्यों की संख्या से एक तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती है। इसी के साथ ये भी नियम है कि विधान परिषद में 40 से कम सदस्य भी नहीं होने चाहिए। एक तिहाई राज्य की स्थानीय सरकारें यानी नगर पालिका और जिला बोर्ड के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। 1/12 वह छात्र चुनेगें जिन्हें ग्रेजुएशन किए हुए तीन साल पूरे हो चुके हैं। जिसके बाद 1/12 सदस्यों का चुनाव राज्य के शिक्षक करते हैं, इसमें प्राइमरी में पढ़ाने वाले शिक्षक शामिल नहीं है।